संसदीय कार्य मंत्री ने गुमराह किया, अतीत में विशेष सत्र से पहले एजेंडा बताया गया था : कांग्रेस

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कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह कहकर गुमराह किया है कि केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाने में विभिन्न नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अतीत में कई मौकों पर सरकारों ने विशेष सत्र बुलाने से पहले उसके एजेंडे के बारे में जानकारी दी थी। इस संदर्भ में उन्होंने कई मिसालें भी दीं। रमेश ने जोशी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, कितना गुमराह करेंगे जोशी जी? प्रत्येक विशेष सत्र/बैठक का एजेंडा पहले से ही पता होता था। यह सिर्फ़ मोदी सरकार ही है जो लगातार संसद का अपमान कर रही है और संसदीय परंपराओं को विकृत कर रही है।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने संविधान दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे अन्य अवसरों के लिए कई विशेष बैठकें बुलाई थीं तथा ऐसा करने वाली सरकारों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भी सरकारें शामिल थीं। रमेश ने कहा, 30 जून, 2017 को जीएसटी लागू करने के लिए आधी रात को सेंट्रल हॉल में संयुक्त विशेष सत्र हुआ। वामपंथी पार्टियों द्वारा संप्रग-1 सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए जुलाई, 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। उनके मुताबिक, देश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 26 अगस्त, 1997 से एक सितंबर, 1997 तक विशेष सत्र बुलाया गया था। इससे पहले, ऐसे दो मौके भी थे जब लोकसभा भंग होने पर उच्च सदन की बैठक विशेष सत्र के लिए हुई थी। रमेश ने कहा, नवंबर, 2019 में पहले से चल रहे शीतकालीन सत्र के बीच संविधान की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में केंद्रीय कक्ष में दोपहर से पहले विशेष बैठक हुई। 9 अगस्त, 2017 – पहले से चल रहे मानसून सत्र के बीच, भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक हुई।

उन्होंने कहा, 26 और 27 नवंबर, 2015 को संविधान दिवस मनाने के लिए विशेष बैठक। 13 मई 2012 को पहले से जारी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा और लोकसभा की पहली बैठक की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक हुई। इससे पहले, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे जवाबी पत्र में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर तक संसद का सत्र बुलाने में प्रासंगिक नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है। जोशी ने कहा कि संसद का सत्र बुलाने से पहले राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा करने की कोई परंपरा नहीं है। सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि विशेष सत्र के लिए कोई एजेंडा सूचीबद्ध नहीं किया गया। उन्होंने जाति जनगणना, चीन के साथ सीमा विवाद, और मणिपुर हिंसा समेत 9 मुद्दों पर चर्चा का भी आग्रह किया।

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