कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र पर पूर्वोत्तर के लिए बजट का कम उपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि वह इकलौती राजनीतिक पार्टी है जो इस क्षेत्र के राज्यों के साथ न्याय कर सकती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”मोदी सरकार की ‘डींग हांकना और राज करो’ नीति की पोल खुलती जा रही है। मोदी सरकार का पिछले 10 वर्ष में पूर्वोत्तर के लिए बड़े बजट आवंटित करने और फिर इन बजट का कम उपयोग करने का इतिहास रहा है।” उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र की अगुवाई वाली सरकार ने केवल दो बार पूर्वोत्तर के लिए पूर्ण बजट का इस्तेमाल किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”जहां संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने करीब 90 फीसदी बजट का इस्तेमाल किया वहीं, मोदी सरकार का नियमित इस्तेमाल घटकर महज 60 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2023 में 2,755 करोड़ रुपये का बजट था। हालांकि, जून 2023 में लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की एक रिपोर्ट से पता चला कि मंत्रालय ने उसके आवंटित बजट का महज 989 करोड़ रुपये (35.9 प्रतिशत) इस्तेमाल किया। रमेश ने कहा कि मोदी सरकार का दावा है कि 2022 में शुरू की गई ‘पीएम-डिवाइन’ योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2022-23 से 2025-26 की अवधि के लिए 6,600 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
उन्होंने कहा कि सात दिसंबर 2023 को डोनेर (पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास) मंत्रालय ने राज्यसभा में सूचित किया कि प्रधानमंत्री की पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विकास पहल (पीएम-डिवाइन) के तहत महज 10 प्रतिशत (855.85 करोड़ रुपये) निधि स्वीकृत की गयी। रमेश ने कहा, जनवरी 2023 में, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में चुनावों से पहले मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय के लिए बजट ‘दोगुना’ कर दिया। बड़ी निधि आवंटन और नाटकीय ढंग से उसके कम उपयोग का झांसा देने के उसके इतिहास को देखते हुए, हमें इस ब्योरे का इंतजार है कि वास्तव में कितनी निधि पूर्वोत्तर तक पहुंची है। उन्होंने ‘हाथ बदलेगा हालात’ हैशटैग के साथ कहा, कांग्रेस इकलौती राजनीतिक पार्टी है जो पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के साथ न्याय कर सकती है।