कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 वर्षों में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के क्रियान्वयन की गति लचर रही, लेकिन अब जब भारतीय जनता पार्टी ने अपना बहुमत खो दिया है तो इस अधिनियम के तेज क्रियान्वयन की उम्मीद की जा सकती है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”आंध्र प्रदेश में एक तेल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स मूल रूप से आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 की तेरहवीं अनुसूची में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा की गई एक प्रतिबद्धता थी।
वास्तव में आज के ‘एक तिहाई प्रधानमंत्री’ की सरकार कानूनी रूप से इस परियोजना को पूरा करने के लिए बाध्य थी।” उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में आईओसी (इंडियन ऑयल)/हिन्दुस्तान पेट्रोलियम छह महीने के भीतर परियोजना की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए बाध्य थे, लेकिन ‘एक तिहाई प्रधानमंत्री’ की सरकार ने 10 वर्षों तक आगे बढ़ने में विफल रहने के बाद, अब केवल व्यवहार्यता अध्ययन शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के क्रियान्वयन की यह लचर गति उन कारणों में से एक थी जिसके कारण चंद्रबाबू नायडू 2018 में राजग से अलग हो गए थे। रमेश ने कहा, शायद अब जब एक तिहाई प्रधानमंत्री ने अपना बहुमत और अपना अहंकार खो दिया है, तो हम इस अधिनियम के तेजी से कार्यान्वयन की उम्मीद कर सकते हैं।