कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के दौरे की पृष्ठभूमि में शनिवार को पूर्वोत्तर की स्थिति को लेकर उनसे कुछ सवाल किए और यह दावा किया कि पूर्वोत्तर के विभिन्न हिस्सों में अस्थिरता एवं अशांति बढ़ रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री को हिंसा प्रभावित मणिपुर जाने का समय क्यों नहीं मिला? प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार सुबह असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य में हाथी और जीप सफारी की। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री ने अपनी विभिन्न यात्राओं के बीच आज सुबह काजीरंगा के लिए समय निकाला, जो एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय उद्यान है, जो जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी दोनों द्वारा दिखाई गई गहरी रुचि के कारण है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पूर्वोत्तर के विभिन्न हिस्सों में अस्थिरता और अशांति बढ़ती जा रही है।
उन्होंने प्रधानमंत्री के पूर्वोत्तर के दौरे के संदर्भ में कहा, 19 जून, 2020 को चीन पर सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि एक भी चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में नहीं घुसा है। चीन को सार्वजनिक रूप से ‘क्लीन चिट’ देकर प्रधानमंत्री ने अपने हाथ बांध लिए हैं और चीनी आक्रामकता के बाद यथास्थिति बहाल करने के लिए कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। चीनी सैनिक भारतीय नागरिकों को चरागाह भूमि तक पहुंच से वंचित कर रहे हैं और भारतीय गश्ती दल को एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के उन रणनीतिक स्थानों तक पहुंच से वंचित कर रहे हैं-जहां पहले उनकी बेरोकटोक पहुंच थी। उन्होंने दावा किया कि पीएलए (पीपुल्स लिबरनेशन आर्मी) के सैनिकों द्वारा भारतीय धरती पर भारतीय नागरिकों का अपहरण करने के कई मामले सामने आए हैं। रमेश के अनुसार, 2022 में खुद अरुणाचल प्रदेश के एक भाजपा सांसद (तापिर गाव) ने आरोप लगाया था कि पीएलए ने 19 वर्षीय मिराम तरोन का अपहरण कर लिया था और 10 दिनों तक उसे प्रताड़ित किया था।
ईटानगर में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने टपोर पुलोम के परिवार से भी मुलाकात की, जो 2015 में पीएलए द्वारा कथित तौर पर अपहरण किए जाने के बाद से लापता हैं। उन्होंने सवाल किया, मोदी जी, भूल गए क्या? क्या आप उस समय लोगों से झूठ बोल रहे थे? कांग्रेस महासचिव ने कहा, मणिपुर में लगभग एक साल से गृहयुद्ध जैसे हालात है। वहां भयंकर हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए हैं, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है और प्रशासन ध्वस्त हो चुका है। उन्होंने दावा किया, मणिपुर में हिंसा की घटनाएं अब भी जारी हैं। सात मार्च को मोरेह में दो युवाओं की पिटाई की गई और आठ मार्च को भारतीय सेना के जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) कोंसम खेड़ा सिंह का थौबल ज़िले में उनके ही घर से आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया। रमेश ने सवाल किया, आम तौर पर देश भर में चुनाव प्रचार के लिए करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग करने वाले प्रधानमंत्री को अभी तक मणिपुर जाने या यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री और राजनीतिक दलों से बात करने का समय क्यों नहीं मिला? क्या वह इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि भारत के लोग उनके लिए इम्फाल का टिकट खरीदेंगे? रमेश के मुताबिक, ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) ने ‘फ्रंटियर नगालैंड’ के निर्माण में देरी के विरोध में पूर्वी नगालैंड में सार्वजनिक आपातकाल घोषित कर दिया है।
किसी भी राजनीतिक दल को क्षेत्र में प्रचार करने या चुनाव लड़ने से रोकने की धमकी दी गई है। कोन्याक यूनियन और तिखिर ट्राइबल काउंसिल ने ईएनपीओ की सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा को दोहराया है। उन्होंने कहा, आठ मार्च को अधिकांश पूर्वी नगालैंड बंद था। स्थिति लगातार तनावपूर्ण होती जा रही है और नगालैंड में कानून के शासन और लोकतंत्र के बाधित होने का ख़तरा है लेकिन केंद्र सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। यह कोई नयी बात नहीं है। हमने पहले भी मोदी सरकार को 2015 के नागा समझौते के साथ नगालैंड की राजनीतिक स्थिति को जटिल करते देखा है, जिसे जनता के लिए जारी भी नहीं किया गया है, लागू करना तो दूर की बात है। रमेश ने सवाल किया कि आज पूर्वी नगालैंड में पैदा हुए हालात को शांत करने के लिए मोदी सरकार क्या कदम उठा रही है?
उन्होंने दावा किया, दिसंबर 2023 में कछार में एक पत्थर की खदान में काम करने वाले तीन मजदूरों का ज़ेलियानग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट ने अपहरण कर लिया था। पिछले महीने फरवरी के मध्य में, असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर चांगलांग ज़िले में फिनबोरो कोलमाइन में काम करने वाले 10 मजदूरों का नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) ने अपहरण कर लिया था।” उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि आम लोगों के जीवन में बाधा डालने और आतंक का राज कायम करने के लिए अलगाववादी समूहों का फिर से उदय हो रहा है। रमेश ने सवाल किया, अलगाववादी हिंसा की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए मोदी सरकार की क्या रणनीति है?