कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के विरोध के कारण केंद्र सरकार को ‘लेटरल एंट्री’ से संबंधित विज्ञापन को निरस्त करने का निर्णय लेना पड़ा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा किया कि कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा इस संदर्भ में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रमुख प्रीति सूदन को जो पत्र लिखा गया है उस पर तिथि का उल्लेख नहीं है जो इस ‘दयनीय शासन’ का प्रमाण है। सिंह ने यूपीएससी प्रमुख को पत्र लिखकर ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये भर्ती से जुड़े विज्ञापन को निरस्त करने के लिए कहा है। रमेश ने जितेंद्र सिंह द्वारा यूपीएससी प्रमुख को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”एक नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के अधीन काम करने वाले एक केंद्रीय मंत्री का एक संवैधानिक प्राधिकारी को लिखा गया बिना तारीख का एक पत्र। यह कैसा दयनीय शासन है।
उन्होंने कहा, ”फिर भी, यह (लेटरल एंट्री की वापसी) स्पष्ट रूप से लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्ष के नेताओं और अन्य लोगों की आलोचना का प्रभाव है।” कांग्रेस ने ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक हैंडल से पोस्ट किया, ”संविधान की जीत हुई। मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साजिश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है। एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है।” उसने कहा, ” आरक्षण विरोधी इस फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और ‘इंडिया’ गठबंधन ने खुलकर विरोध किया। इसकी वजह से मोदी सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा है। यह बाबासाहेब के संविधान की जीत है। यह दलित, शोषित, पिछड़ों की जीत है।