देश में घरेलू ऋणग्रस्तता संकट, निजी निवेश में भारी मंदी का दौर: कांग्रेस

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कांग्रेस ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि घरेलू ऋण बढ़ने का संकट है तथा परिवार कम बचत कर रहे हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि भारत निजी निवेश में भारी मंदी के दौर से गुजर रहा है। रमेश ने एक बयान में कहा, ” हाल में जारी ‘इंडस वैली’ वार्षिक रिपोर्ट 2025 के अनुसार, प्रसिद्ध कंपनी ‘ब्लूम वेंचर्स’ द्वारा भारत के आर्थिक परिदृश्य और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र, भारतीय अर्थव्यवस्था पर किए गए एक विस्तृत विश्लेषण पेश करती है। इसके सबसे चिंताजनक प्रभावों में से एक भारत के घरेलू वित्त पर पड़ने वाला प्रभाव है।

उन्होंने दावा किया कि कोविड-19 से भारत की अर्थव्यवस्था पर पटरी पर आना उस उपभोग वृद्धि पर आधारित था जो ऋण द्वारा संचालित थी तथा कोविड के बाद के वर्षों में उपभोक्ता ऋण निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) का लगभग 18 प्रतिशत था। रमेश ने कहा, ”इस अवधि के दौरान व्यक्तिगत ऋण ने गैर-खाद्य उधार के सबसे बड़े खंड के रूप में उद्योग ऋण की जगह ले ली। यह निजी निवेश के धीमे स्तर का प्रतिबिंब था। इस ऋणग्रस्तता का अधिकांश हिस्सा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से छोटे हिस्से व्यक्तिगत ऋण (एसटीपीएल) में वृद्धि के कारण था। यह 2024 में नए व्यक्तिगत ऋणों का 82 प्रतिशत है।

उन्होंने दावा किया कि ऋण वृद्धि ने अब ईंधन की खपत को जारी रखने के बजाय घरेलू ऋणग्रस्तता संकट पैदा कर दिया है तथा सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले घरेलू ऋण लगभग 43 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है उनके मुताबिक, घरेलू ऋणग्रस्तता का एक नकारात्मक पहलू है कि परिवार कम बचत कर रहे हैं। रमेश ने कहा, ”भारत निजी निवेश में भारी मंदी के दौर से गुजर रहा है।” उनका कहना था, ” गहरी जड़ें जमा चुकी इस बीमारी का मूल कारण वेतनभोगी क्षेत्र और अनौपचारिक ग्रामीण क्षेत्र दोनों में वास्तविक मजदूरी में स्थिरता है। श्रम उत्पादकता और उच्च मजदूरी में वृद्धि के बिना, उपभोग में कोई भी वृद्धि अस्थिर ऋण उछाल पर आधारित होगी। इस संकट के पहली बार सामने आने के 10 साल बाद और कोविड-19 के पहली बार आने के पांच साल पश्चात, सरकार इस संकट को स्वीकार करने में लगातार विफल रही है।” रमेश ने कहा कि रिपोर्ट विस्तृत विवरण से भरपूर है और इसमें केवल घरेलू ऋणग्रस्तता संकट की चर्चा की गई है।