निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिए शीतकालीन सत्र में विधेयक लाए सरकार: कांग्रेस

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कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार से आग्रह किया कि वह संविधान के अनुच्छेद 15 (5) को लागू करने के लिए एक विधेयक लाए ताकि निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के छात्रों को आरक्षण का लाभ मिल सके। पार्टी के अनुसूचित जनजाति विभाग के प्रमुख विक्रांत भूरिया, अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम और अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रमुख अनिल जयहिंद ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि सरकार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली शिक्षा संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार करना चाहिए। इस समिति की रिपोर्ट संसद के बीते मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश की गई थी और इसमें निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की पैरवी की गई थी।

विक्रांत भूरिया ने कहा, ”बाबा साहेब ने कहा था कि अगर सामाजिक समानता लानी है तो वोट का अधिकार और आरक्षण होना चाहिए। लेकिन भाजपा के लोग वोट का अधिकार और आरक्षण दोनों ही चुरा रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि यह एक साजिश है, जिसके तहत पहले सरकारी शिक्षण संस्थानों को धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है, फिर पूरी शिक्षा व्यवस्था निजी हाथों में सौंप दी जा रही है। भूरिया का कहना था कि देश में जिस बहुजन समाज की आबादी 90 प्रतिशत है, उन्हें निजी शिक्षण संस्थानों में सिर्फ 12 प्रतिशत जगह मिल रही है। उनका कहना था कि संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि देश के निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत और ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

भूरिया ने कहा कि सरकार को इस सिफारिश पर अमल करना चाहिए। जयहिंद ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में 15(5) का जो संविधान संशोधन किया गया था, वो क्रांतिकारी कदम था क्योंकि इससे निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का मार्ग पर प्रशस्त हो गया। उन्होंने कहा, ”आज 11 साल हो गए हैं, लेकिन मोदी सरकार ने इस कानून पर कोई कदम नहीं उठाया।” जयहिंद ने कहा कि अनुच्छेद 15 (5) को लागू करने के लिए संसद के शीताकालीन सत्र में विधेयक लाया जाना चाहिए।