‘बेरोजगारी संकट बढ़ने’ को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

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कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने तुगलकी नोटबंदी, जल्दबाजी में लागू जीएसटी और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार सृजन करने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को तबाह कर भारत में बेरोजगारी के संकट को बढ़ा दिया है। कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान में वैश्विक बैंक सिटीग्रुप की एक नयी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जो हाल के चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस द्वारा कही गई बातों की पुष्टि करते हैं। रमेश ने कहा, ”कांग्रेस बेरोजगारी संकट पर लगातार चिंता जताती रही है। तुगलकी नोटबंदी, जल्दबाजी में लागू जीएसटी (माल एवं सेवा कर) और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार सृजन करने वाले एमएसएमई के पूरी तरह ध्वस्त हो जाने से यह संकट और बढ़ गया है।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ”’नॉन बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने केवल बड़े कारोबारी समूहों को लाभ पहुंचाने वाली आर्थिक नीतियां बनाकर बेरोजगारी दर को 45 वर्षों के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है, जिसमें स्नातक युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 42 प्रतिशत है।” रमेश ने रिपोर्ट के मुख्य अंश साझा किए जिसमें कहा गया है कि भारत को अपने युवाओं को रोजगार देने के लिए अगले 10 वर्षों तक प्रति वर्ष 1.2 करोड़ नौकरियां सृजित करनी चाहिए। रमेश ने कहा, ”यहां तक ​​कि सात प्रतिशत जीडीपी वृद्धि भी हमारे युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं करेगी। ‘नॉन बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री की सरकार में देश ने औसतन केवल 5.8 प्रतिशत जीडीपी दर हासिल की है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मोदी सरकार का पूरी तरह विफल होना बेरोजगारी संकट का मूल कारण है।” उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 10 लाख रिक्त पद हैं जो न केवल हमारे शिक्षित युवाओं के साथ भद्दा मजाक है बल्कि सरकार के कामकाज में भी बाधा है।

कांग्रेस नेता ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत की केवल 21 प्रतिशत श्रम शक्ति के पास नियमित वेतन वाली नौकरी है जो कि कोविड के पहले के समय से 24 प्रतिशत कम है। रमेश ने दावा किया, ”कोविड के बाद की रिकवरी में एकमात्र लाभार्थी अरबपति वर्ग रहा है। इस बीच वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लिए रास्ते बंद हो रहे हैं।” कांग्रेस नेता ने मोदी पर ग्रामीण भारतीयों को और गरीब बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक मजदूरी प्रति वर्ष 1-1.5 प्रतिशत से कम हो रही है। रमेश ने कहा कि सिटीग्रुप की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार की कई अतिप्रचारित योजनाओं ने जमीनी स्तर पर कोई लाभ नहीं दिया है और इनमें सुधार के लिए सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि ‘स्किल इंडिया’ योजना पूरी तरह से विफल रही है। केवल 4.4 प्रतिशत युवाओं के पास ही किसी तरह का औपचारिक प्रशिक्षण है। रमेश ने कहा, ”कौशल विकास के लिए एक नयी पहल की सख्त जरूरत है।

कांग्रेस के न्याय पत्र में प्रशिक्षुता के अधिकार का जो वादा था वह वास्तव में समय की मांग है। ” उन्होंने कहा, ”मुद्रा और स्वनिधि जैसे जुमले छोटे व्यवसायों को कर्ज देने में पूरी तरह विफल रहे हैं। इनमें बड़े पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है।” कांग्रेस नेता ने कहा, ”कम वेतन वाली सेवा क्षेत्र की नौकरियों में काम करने वाले भारतीय पीड़ित हैं। एक ‘निर्वाह मजदूरी’ कानून की आवश्यकता है।” रमेश ने कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 400 रुपये प्रति दिन की गारंटी एक अच्छी शुरुआत होगी। उन्होंने बयान में कहा, ”भारत को निर्माण क्षेत्र में अधिक नौकरियां पैदा करनी चाहिए और सरकार को बड़े पैमाने पर सामाजिक आवास कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।” रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा, ”नॉन बायोलॉजिक प्रधानमंत्री और उनके लिए ढोल पीटने वाले अर्थशास्त्री इस पर हमला बोलने लगते हैं। लेकिन वास्तविकता शायद और गंभीर है, यह है रोजगार विहीन विकास।