क्या गारंटी है कि अडाणी मामले में समिति की रिपोर्ट का हश्र पिछली समितियों की तरह नहीं होगा: कांग्रेस

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कांग्रेस ने अडाणी समूह से जुड़े मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग पर एक बार फिर से जोर देते हुए शनिवार को सवाल किया कि इस बात की क्या गारंटी है कि इस प्रकरण की जांच के लिए बनी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हश्र पुरानी कुछ समितियों की रिपोर्ट की तरह नहीं होगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत पिछले दिनों की तरह आज भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ सवाल किए। कांग्रेस अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह और प्रधानमंत्री पर लगातार हमले कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे। अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है।

कांग्रेस महासचिव रमेश ने कहा, ”सेबी और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा की गई जांच विशेषज्ञ समिति के औपचारिक अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। इसके पास सम्मन करने, साक्ष्य के लिए दबाव डालने या गवाहों की जिरह करने की शक्ति नहीं है। साथ ही इस समिति के समक्ष दिए गए बयान भी अदालत में मजबूत साक्ष्य की तरह नहीं होंगे। उनके मुताबिक, हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने 25 अगस्त 2022 को पेगासस के अवैध उपयोग की जांच करने वाली समिति को लेकर कुछ टिप्पणी की थी।

इसको देखते हुए क्या यह स्पष्ट नहीं है कि अडाणी घोटाले की व्यापक जांच करने का एकमात्र तरीक़ा उपयुक्त शक्तियों वाली जेपीसी है? उन्होंने सवाल किया, सीमित अधिकारों के बाद भी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हश्र पिछली कुछ रिपोर्ट के जैसा न हो। पेगासस रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है, हालांकि इसे जुलाई 2022 में प्रस्तुत कर दिया गया था। रमेश ने यह भी पूछा, ”इस बात की क्या गारंटी है कि अडाणी मामले में ऐसा नहीं होगा? इन सभी प्रासंगिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए क्या यह आवश्यक नहीं है कि इस मामले की जांच जेपीसी करे?

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