क्या निगम कर्मियों के खिलाफ जांच के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी जरूरी है: अदालत ने लोकपाल से पूछा

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को लोकपाल से यह बताने को कहा कि क्या दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले दिल्ली सरकार से मंजूरी का कानूनी प्रवाधान है। उच्च न्यायालय ने कथित अवैध निर्माण के आरोप में नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने के लोकपाल के आदेश के मद्देनजर यह बात कही। एक व्यक्ति की शिकायत पर लोकपाल द्वारा सीबीआई जांच कराने के आदेश को एमसीडी ने अदालत में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने मामले पर सुनवाई करते हुए लोकपाल के वकील को निर्देश प्राप्त करने के लिए समय दे दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि लोकपाल द्वारा पारित आदेश दिल्ली सरकार की अनुमति के बिना अनुमान्य नहीं है। लोकपाल की ओर से पेश अधिवक्ता अपूर्व कुरुप ने याचिका पर निर्देश लेने के लिए समय देने का अनुरोध किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि दिल्ली की विशेष स्थिति है और एमसीडी केंद्र के अधीन आता है और ऐसे में मंजूरी की जरूरत नहीं है, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा तर्क दिया जा रहा है।

अदालत ने टिप्पणी की कि लोकपाल अधिनियम बहुत ही पवित्र अधिनियम है और इसके साथ ही उसने मामले की अगली सुनवाई नौ जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी। न्यायाधीश ने कहा कि लागू कानून के मद्देनजर अंतत: मुद्दा है कि क्या एमसीडी को दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। अदालत ने कहा, सोमवार अपराह्न दो बजकर 30 मिनट के लिए मामले को सूचीबद्ध कीजिए, अब और स्थगन नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2021 में समाजवादी युवाजन सभा के पूर्व महासचिव विक्रम सिंह सैनी ने लोकपाल से शिकायत की थी कि दक्षिण दिल्ली में कुछ एमसीडी अधिकारियों की शह पर ‘अवैध निर्माण’ किया गया है।

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