एक पार्टी ने संविधान के निर्माण को ‘हाईजैक’ करने की कोशिश की: राजनाथ सिंहरक्षा मंत्री

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राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लोकसभा में कहा कि संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है लेकिन इसके निर्माण के कार्य को एक पार्टी विशेष द्वारा ‘हाईजैक’ करने की कोशिश हमेशा की गई है। रक्षा मंत्री ने लोकसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी परोक्ष निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्ष के कई नेता संविधान की प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते हैं क्योंकि उन्होंने पीढ़ियों से अपने परिवार में संविधान को जेब में ही रखे देखा है। सिंह ने कहा, ‘हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं, भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा, भारत के विचारों के साथ, भारत के मूल्यों के अनुरूप बनाया गया दस्तावेज है।’

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार संविधान के मूल्यों को केंद्र में रखकर काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि संविधान की पवित्रता को कभी भंग न होने दे और यह संवैधानिक यात्रा अनवरत जारी रहे, इसके लिए पूरी शक्ति से काम करें।’ रक्षा मंत्री ने यह भी कहा, ‘कांग्रेस चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन हम कभी भी संविधान के मूल चरित्र को बदलने नहीं देंगे। आप इतिहास देखें, हमने आपातकाल के काले दिनों में भी संविधान के मूल चरित्र को चोट पहुंचाने के हर प्रयास का मजबूती के साथ विरोध किया था।’ लोकसभा के उप नेता ने किसी का नाम लिये बिना कहा, ‘एक पार्टी विशेष द्वारा संविधान निर्माण के कार्य को ‘हाईजैक’ करने की कोशिश हमेशा से की गई है। भारत में संविधान निर्माण के इतिहास से जुड़ी ये सब बातें लोगों से छिपाई गई हैं।’

उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, ‘आज विपक्ष के कई नेता संविधान की प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते हैं। असल में उन्होंने बचपन से ही यही सीखा है। उन्होंने पीढ़ियों से अपने परिवार में संविधान को जेब में ही रखे देखा है। लेकिन भाजपा संविधान को सिर माथे पर लगाती है। हमारी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति पूरी तरह साफ है।’ सिंह ने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं को जब भी सत्ता और संविधान में से किसी एक को चुनना था तो उन्होंने हमेशा सत्ता को चुना। उन्होंने कहा, ‘हमने कभी किसी संस्था की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ नहीं किया है। संविधान के मूल्य हमारे लिए कहने या दिखाने भर की बात नहीं हैं।

संविधान के मूल्य, संविधान के द्वारा दिखाया गया मार्ग, संविधान के सिद्धांत, हमारे मन में, वचन में, कर्म में, हर जगह दिखाई पड़ेंगे।’ उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 10 वर्षों में जो भी संवैधानिक संशोधन किये, उन सभी का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करना था, सामाजिक कल्याण था और लोगों का सशक्तीकरण था। सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस की तरह, हमने संविधान को कभी राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया। हमने संविधान को जिया है। हमने सजग और सच्चे सिपाही की तरह संविधान के खिलाफ की जा रही साजिशों का सामना किया है। और उसकी रक्षा के लिए बड़े से बड़ा कष्ट भी उठाया है।’

उन्होंने कहा, ‘हमने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, ताकि भारत की अखंडता सुनिश्चित हो। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त किया। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी सामाजिक न्याय की भावना से ही प्रेरित था।’ रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने अतीत में सिर्फ संविधान संशोधन नहीं किया, बल्कि दुर्भावना के साथ धीरे-धीरे संविधान बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘पंडित जवारलाल नेहरू जब प्रधानमंत्री थे तो लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए 28 बार, राजीव गांधी के समय 10 बार और मनमोहन सिंह के समय 7 बार संविधान संशोधन किया गया।’ सिंह ने कहा, ‘आप पहले संविधान संशोधन को ही ले लीजिए। साल 1950 में प्रेस में कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की आलोचना हो रही थी। ऐसे में तब की कांग्रेस सरकार ने आरएसएस के साप्ताहिक प्रकाशन ‘ऑर्गनाइज़र’ और मद्रास से निकलने वाली पत्रिका ‘क्रॉसरोड्स’ को प्रतिबंधित कर दिया था।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘आज संविधान का राग अलापने वाली कांग्रेस पार्टी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करने की जगह 1951 में ही संविधान संशोधन करके, नागरिकों की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को कुचल दिया।’ सिंह ने कहा, ‘हमारा संविधान, आपातकाल और भ्रष्ट सरकारों के सामने भी मजबूती से खड़ा रहा है।’

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में कई संस्थाओं और विभूतियों ने संविधान के प्रारूप पर विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने ऐसे कई लोग संविधान सभा में नहीं थे लेकन उनका बड़ा योगदान संविधान निर्माण में रहा। सिंह ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, पंडित जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, सरदार भगत सिंह और वीर सावरकर जैसे कई महापुरुषों के विचारों ने हमारे संविधान की भावना को मजबूत किया। उन्होंने कहा, ”हमारे प्रेरणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि संविधान सामूहिक प्रयास और समझ का परिणाम होना चाहिए।” सिंह ने कहा, ”हमने हमेशा बाबा साहेब आंबेडकर और संविधान सभा की भावना के प्रति पूरी निष्ठा रखते हुए, संविधान को एक दिशानिर्देशक सिद्धांत मानकर कार्य किया है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि संविधान में हर तरह से समाज में समरसता, समभाव और समृद्धि की रूपरेखा है और इसमें ऐसी भावना है कि गरीब परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सके। उन्होंने मोदी सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना, जन आरोग्य योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना जैसे अनेक कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार संविधान की भावना के अनुरूप समाज के हर वर्ग के लिए काम कर रही है। जाति जनगणना की मांग पर विपक्ष को घेरते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल जातीय जनगणना की बात करते हैं तो वे इस बात का खाका भी प्रस्तुत करें कि किस जाति को कितने प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा खाका तैयार किया जाएगा और आसन की अनुमति होगी तो यहां ऐसे मसौदे पर चर्चा करायी जा सकती है। उन्होंने 1970 के दशक की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता और संविधान में से किसी एक को चुनने की बारी आई तो सत्ता को चुना और संविधान को हमेशा ताक पर रखा।

सिंह ने 1975 में देश में आपातकाल लागू किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, ”हमने आपातकाल के काले दिनों में भी संविधान के मूल चरित्र को चोट पहुंचाने का मजबूती से विरोध किया।” उन्होंने भावुक होते हुए कहा, ”मैंने खुद आपातकाल के दंश को झेला है। मैं 18 महीने जेल में रहा। मुझे मेरी मां की मृत्यु के बाद उन्हें मुखाग्नि देने के लिए भी परोल तक नहीं दी गई।” सिंह ने अपने करीब 55 मिनट के भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर असंवैधानिक तरीके से अनेक निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करने का आरोप लगाते हुए कहा, ”कांग्रेस ने कभी संवैधानिक मूल्यों और संस्थाओं का सम्मान नहीं किया है।’