‘संविधान हत्या दिवस’ कांग्रेस की ‘तानाशाहीपूर्ण मानसिकता’ के खिलाफ बलिदान की याद दिलाएगा: भाजपा

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाना लोगों को कांग्रेस की ‘तानाशाहीपूर्ण मानसिकता’ के खिलाफ लड़ने वालों के बलिदान और शहादत की याद दिलाएगा। पार्टी ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने लगभग 50 वर्ष पहले इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के खिलाफ लड़ते हुए यातनाएं झेलीं और अपने प्राण दे दिये। भाजपा की यह प्रतिक्रिया केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने के सरकार के फैसले की घोषणा के बाद आई है।

देश में 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी। इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए रक्षा मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के कारण जो परिस्थितियां पैदा हुईं और जिस तरह का दमन चक्र चलाया गया, वह आज भी देश की जनता की स्मृति में ताजा है।” उन्होंने कहा कि केंद्र ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में घोषित किया है, ताकि भारत में आपातकाल लगाकर संविधान का गला घोंटने की कोशिश की याद दिलाई जा सके और इसके खिलाफ लड़ने वाले और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने वाले आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जा सके।

भाजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि 25 जून 1975 वह काला दिन था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ‘तानाशाही मानसिकता’ ने संविधान में निहित लोकतंत्र की ‘हत्या’ करके देश पर आपातकाल थोप दिया था। उन्होंने कहा, ”यह दिवस हमारे सभी महापुरूषों के त्याग व बलिदान का स्मरण कराएगा जो कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता के विरुद्ध संघर्ष करते हुए संविधान की रक्षा व लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए यातनाएं सही और अपनी जान दे दी। नड्डा ने कहा, ”मैं इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जो हमें हर साल लोकतंत्र के महत्व की याद दिलाता रहेगा।” भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सरकार के निर्णय को ‘ऐतिहासिक’ बताया और कहा कि इससे लोगों को इस घटना और संविधान को निरस्त करने के पीछे की ताकत को समझने का अवसर मिलेगा। सिन्हा ने 1975 में कांग्रेस द्वारा आपातकाल लगाए जाने की आलोचना करते हुए कहा, क्या राहुल गांधी इसका स्वागत करेंगे? क्या जयराम रमेश इस पर बोलेंगे? या वे इस निर्णय से आहत होंगे?