दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने देशभर में शैक्षणिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाने पर जोर देते हुए शुक्रवार को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय का कोई भी काम नहीं रुकेगा। मुख्यमंत्री ने यह बयान दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में उनके सम्मान में आयोजित एक सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने अपने छात्र जीवन को याद किया और दौलत राम कॉलेज को उन्हें एक नेता के रूप में ढालने का श्रेय दिया। गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 1993 में दौलत राम कॉलेज में प्रवेश लिया था और एक साल तक चली हड़ताल के कारण उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के प्रतिनिधियों से संपर्क करना पड़ा था।
उन्होंने बताया कि इसकी वजह अंततः उनका संपर्क अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से हुआ और वह अपने पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में डूसू अध्यक्ष चुनी गईं। मुख्यमंत्री ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह स्कूटी पर सवार होकर डीयू से संबद्ध महाविद्यालयों और दिल्ली भर में राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित करती थीं। उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा, ”मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कुलपति कार्यालय में खड़ी होऊंगी, जहां मैंने कभी विरोध प्रदर्शन किया था, और अब मंच से सभा को संबोधित करूंगी।” मुख्यमंत्री ने डीयू के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि वह विश्वविद्यालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करेंगी।
उन्होंने दिल्ली में मौजूदा पर्यटक आकर्षणों के साथ-साथ शैक्षिक पर्यटन को बढ़ावा देने के अपने दृष्टिकोण को भी साझा किया। मुख्यमंत्री ने उन दिनों को याद किया जब उन्हें अपने शिक्षकों से डांट पड़ती थी। उन्होंने उन विरोध प्रदर्शनों को याद किया जिसके कारण वह एबीवीपी से जुड़ी। गुप्ता ने मजाकिया अंदाज में बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन मौरिस नगर पुलिस थाने के अधिकारियों से बात करेंगी, जहां एक बार उन्हें और उनके साथियों को विरोध प्रदर्शनों के बाद ले जाया गया था। गुप्ता ने दौलत राम कॉलेज का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ”दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर का दौरा किया है। मैं यहां की सुविधाओं से अभिभूत हूं और सोचती हूं कि इस विश्वविद्यालय ने मेरे जैसे कई छात्रों को तैयार किया है।” उन्होंने कहा, ”हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को इस तरह विकसित करने की जरूरत है कि किसी बच्चे को केजी से पीजी तक की शिक्षा में कोई समस्या महसूस न हो।