नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 2003 में ऑस्ट्रेलिया के रेडफर्न में हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह गलत पहचान का मामला है क्योंकि आरोपी की उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) अपराध की वास्तविक फाइल में मौजूद निशानों से मेल नहीं खाते। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी ने फोरेंसिक रिपोर्ट पर विचार करने के बाद 13 जून को पारित आदेश के तहत 37 वर्षीय मोहम्मद बशीरुद्दीन को बरी कर दिया। न्यायाधीश ने शुक्रवार को कहा, ”12 जून, 2025 को सीएफएसएल की सीलबंद रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। रिपोर्ट को आज खुली अदालत में खोला गया। रिपोर्ट के अनुसार, 17 मई 2025 को गिरफ्तार किए गए मोहम्मद बशीरुद्दीन के उंगलियों के निशान मूल भगोड़े अपराधी की उंगलियों के निशानों से अलग हैं।
उन्होंने कहा, ”रिपोर्ट के मद्देनजर, मोहम्मद बशीरुद्दीन को मौजूदा कार्यवाही से बरी किया जाता है।” इससे पहले 29 जून, 2003 को रेडफर्न के जेम्स स्ट्रीट पर एक स्लीपिंग बैग के अंदर शौकत मोहम्मद नाम के एक व्यक्ति का शव मिला था। पीड़ित को नशीला पदार्थ दिया गया था और गला घोंटकर हत्या करने से पहले उसे पीटा गया था। आरोपी की ओर से पेश वकील फरहत जहान रहमानी ने अदालत से कहा कि विदेशी रिकॉर्ड में दर्ज वास्तविक आरोपी का नाम बशीरुद्दीन मोहम्मद है, जो मौजूदा आरोपी से अलग व्यक्ति है और उसका पूरा नाम मोहम्मद बशीरुद्दीन है। वकील ने दावा किया कि मौजूदा आरोपी ने 2016 में अपना भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया और तब से उसने सऊदी अरब को छोड़कर भारत से बाहर कभी यात्रा नहीं की।