दिल्ली की एक अदालत ने बलात्कार के कथित मामले में एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए कहा है कि ‘स्वीकृति’ निर्धारित करने के लिए कोई मानक पैमाना नहीं है और प्रत्येक मामले में तथ्यों व परिस्थितियों से आपराधिक इरादे को साबित करना होगा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने इस बात का जिक्र किया कि आरोपी और 25 वर्षीय शिकायतकर्ता के बीच संबंध प्रथम दृष्टया सहमति वाला था। न्यायाधीश ने आरोपी की इस दलील का जिक्र किया कि वह (आरोपी) अपने पिता के ब्रेन कैंसर से पीड़ित होने के चलते शिकायतकर्ता से शादी करने के लिए वक्त मांग रहा है।
न्यायाधीश ने कहा कि अतिरिक्त सरकारी वकील पंकज भाटिया की दलीलों के मुताबिक, जहां तक संबद्ध आरोपों को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 354(डी) की बात है, ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया है कि आरोपी पीड़िता का पीछा करता था। उन्होंने कहा कि मामले के जांच अधिकारी (आईओ) के मुताबिक चूंकि आरोपी जांच में शामिल हुआ, इसलिए हिरासत में लेकर उससे पूछताछ किये जाने की जरूरत नहीं है। कार्यवाही के दौरान आरोपी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कपिल मदान ने कहा कि उसका शिकायतकर्ता के साथ सहमति के साथ संबंध था। आरोपी शिकायतकर्ता से शादी करना चाहता है लेकिन महिला का परिवार अंतरजातीय विवाह के लिए राजी नहीं है।
आईओ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आरोपी ने महिला के साथ सहमति वाला संबंध स्वीकार किया है और उसके साथ शादी करने की इच्छा भी जताई है। अदालत ने आरोपी को एक लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दी। आईओ की रिपोर्ट के मुताबिक शिकायतकर्ता ने मामला 10 अक्टूबर 2018 को दर्ज कराया था। शिकायतकर्ता आरोपी की कंपनी में काम करती थी और एक अकाउंटेंट है। साथ ही, शिकायतकर्ता की पूर्व में किसी अन्य व्यक्ति से सगाई हुई थी। हालांकि, आरोपी ने महिला के साथ प्रेम संबंध होने के बाद उस पर अपनी सगाई तोड़ने के लिए दबाव डाला।