दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के आरोपपत्र में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास कृषि भूमि खरीदने के लिए हवाला धन का उपयोग किया था। संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि आरोपपत्र या अभियोजन शिकायत यहां 27 जुलाई को विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में दायर की गई और अदालत ने इसका संज्ञान लिया।
ईडी ने आरोप पत्र में सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और सहयोगियों अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन व अंकुश जैन और कंपनियों अकिंचन डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड, प्रयास इंफोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन डेवलपर्स प्राइवेट और जे.जे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को नामजद किया है। जैन को ईडी ने 30 मई को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी द्वारा हिरासत में लिए जाने से पहले जैन के पास स्वास्थ्य, ऊर्जा और कुछ अन्य विभाग थे।
ईडी ने वैभव जैन और अंकुश जैन को भी गिरफ्तार किया था और वे भी मंत्री के साथ न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया, 2015-16 के दौरान, सत्येंद्र जैन एक लोक सेवक थे और (उनके स्वामित्व वाली और उनके द्वारा नियंत्रित) उपरोक्त चार कंपनियों को कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटर्स को नकदी हस्तांतरित करने के बदले मुखौटा कंपनियों की ओर से 4.81 करोड़ रुपये की हवाला राशि प्राप्त हुई थी। एजेंसी ने आरोप लगाया, इन धनराशियों का इस्तेमाल दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि की प्रत्यक्ष खरीद या खरीदी जा चुकी कृषि भूमि से संबंधित ऋण की अदायगी के लिए किया गया था। एजेंसी मंत्री के परिवार और सहयोगियों के खिलाफ कम से कम दो बार छापेमारी कर चुकी है। ईडी ने 6 जून को पहले दौर की छापेमारी के बाद 2.85 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी और 133 सोने के सिक्के जब्त करने का दावा किया था।
अप्रैल में, ईडी ने जांच के तहत 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति और उनके स्वामित्व व नियंत्रण वाली कंपनियों को कुर्क किया था। मंत्री के खिलाफ धनशोधन का मामला अगस्त 2017 में सीबीआई द्वारा उनके और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है। सीबीआई ने दिसंबर 2018 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था जिसमें कहा गया था कि कथित आय से अधिक संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के दौरान उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 217 प्रतिशत अधिक थी।