दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के आरोपियों ने व्हाट्सएप संदेश हटाए: ईडी

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नई दिल्ली। दिल्ली की रद्द की गई आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं और रिश्वत की जांच कर रही एजेंसी के पास उपलब्ध दस्तावेजी साक्ष्य बहुत अपर्याप्त हैं क्योंकि आरोपियों ने संवाद के लिए ‘वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल’ (वीओआईपी) और ‘सिग्नल’ ऐप का उपयोग किया था। ईडी ने शनिवार को यहां की एक अदालत को सूचित किया कि मामले के आरोपियों ने बातचीत के लिए ऑनलाइन माध्यम का सहारा लिया जबकि व्हाट्सएप पर साझा किए गए संदेशों को भी ‘डिलीट’ (हटा) कर दिया।

ईडी ने यह बात आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी विजय नायर और हैदराबाद के व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली को उनकी पांच दिन की हिरासत अवधि की समाप्ति पर अदालत के समक्ष पेश करते हुए कही। अदालत ने दोनों आरोपियों को और पांच दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने इस सप्ताह की शुरुआत में इन दोनों को दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़ी धन शोधन जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने दावा किया कि नायर ”दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता” था।

ईडी ने अदालत को बताया, नायर की भूमिका नीति बनाने से लेकर पिछले दरवाजे से इससे लाभ लेने वाले लोगों का समूह बनाने तक रही है। उन्होंने एक नीति तैयार करने के लिए दूसरों के साथ परामर्श किया, जिससे गिरोहबंदी का रास्ता बना। ईडी ने कहा कि नायर नीति के लिए ”मुख्य निर्णयकर्ता” थे और वह थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर शराब उद्योग से जुड़े ”सभी लोगों” से मिल रहे थे। ईडी ने कहा, ”जांच के दौरान यह पता चला है कि आबकारी नीति एल-1 थोक व्यापारी के लिए 12 प्रतिशत लाभ के साथ तैयार की गई थी। इस 12 प्रतिशत में से छह प्रतिशत को रिश्वत के रूप में निर्धारित किया गया था।

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