दिल्ली सरकार ने शुरू किया धूल रोधी अभियान, इमरजेंसी जांच के लिए 500 से ज्यादा टीमों का गठन

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नई दिल्ली। निर्माण स्थलों पर प्रदूषण के खिलाफ उपायों के अनुपालन पर नजर रखने के लिये दिल्ली में बृहस्पतिवार को एक महीने तक चलने वाला धूल रोधी अभियान शुरू हो गया। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अभियान के तहत आकस्मिक जांच के लिये 586 टीमों का गठन किया गया है। यहां सिविल लाइंस स्थित अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि अभियान को, प्रदूषण से निपटने के लिये राष्ट्रीय राजधानी में क्रियान्वित ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) के तहत शुरू किया गया है। राय ने कहा, “दिल्ली में आज से धूल रोधी अभियान शुरू हो गया है। 12 सरकारी विभागों व एजेंसियों की कम से कम 586 टीमों का गठन शहर भर में निर्माण स्थलों पर धूल से होने वाले प्रदूषण की जांच के लिये किया गया है। यह अभियान अगले एक महीने यानी छह नवंबर तक जारी रहेगा।

ये दल निर्माण स्थलों का अचानक निरीक्षण करेंगे ताकि यह जांचा जा सके कि वहां प्रदूषण मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि मानकों के मुताबिक, पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों को एंटी-स्मॉग गन की तैनाती करनी होगी जबकि 10 हजार वर्ग मीटर से बड़े स्थलों को दो एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करना होगा। मंत्री ने कहा कि 15 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा के क्षेत्र वाले निर्माण स्थलों पर तीन एंटी-स्मॉग गन तैनात करनी होंगी। उन्होंने कहा कि इसी तरह, 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा के निर्माण स्थलों पर धूल के प्रदूषण को रोकने के लिये चार एंटी-स्मॉग गन लगानी होगी।

राय ने कहा कि 586 प्रवर्तन टीमों में से 33 दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से, 165 राजस्व विभाग से, 300 दिल्ली नगर निगम से, 33 दिल्ली विकास प्राधिकरण से, 14 दिल्ली जल बोर्ड से और छह लोक निर्माण विभाग समेत अन्य से हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रत्येक निर्माण कंपनी या एजेंसी को अपने स्थलों पर 14 सूत्रीय दिशानिर्देश का पालन करना होगा। इनमें से कुछ मानदंड एंटी-स्मॉग गन को तैनात करना, निर्माण स्थलों को टिन की दीवारों और तिरपाल से ढकना तथा निर्माण सामग्री को खुला नहीं छोड़ना आदि हैं।

राय ने कहा कि मानदंड के मुताबिक निर्माण के दौरान पत्थर की कटाई खुले में नहीं की जा सकती है और इसके लिए पानी की बौछार करने वाली मशीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रवर्तन दल जांच करेंगे कि निर्माण स्थलों पर इन मानदंडों का पालन किया जा रहा है या नहीं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निर्माण स्थलों पर धूल-रोधी मानदंडों के किसी भी उल्लंघन के लिए, सरकार द्वारा 10,000 रुपये से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई गंभीर उल्लंघन होता है, तो सरकार निर्माण स्थल को बंद करने का आदेश दे सकती है। मंत्री ने दिल्लीवासियों से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लेने की भी अपील की।

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