दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य सरकार रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के स्वामित्व वाली दिल्ली मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में पारित मध्यस्थता फैसले के बाद इक्विटी के रूप में 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने की इच्छुक नहीं है। डीएमआरसी के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने कहा है कि विवादों या अनुबंध संबंधी चूक से जुड़े भुगतान का दायित्व शेयरधारकों पर नहीं डाला जा सकता हैं।
निगम इस दायित्व को पूरा करने के लिए खुले बाजार या बाहरी सहायता प्राप्त कोष या केंद्र सरकार से ऋण के रूप में धन जुटा सकता है। डीएमआरसी और केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को सूचित किया कि केंद्र सरकार के भीतर इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे का समाधान 16 जनवरी तक निकल सकता है जब निगम के निदेशक मंडल की बैठक होनी है। इसके बाद, उच्च न्यायालय ने मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 19 जनवरी तय की।
डीएमआरसी ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) की लंबित याचिका पर यह दलील दी। इसमें डीएएमईपीएल ने कहा कि डीएमआरसी ने 14 मार्च, 2022 तक सिर्फ 166.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया। याचिका में 4,427.41 करोड़ रुपये का भुगतान दिलवाने का अनुरोध किया। वेंकटरमानी ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि दिल्ली सरकार ने 21 दिसंबर, 2022 को एक पत्र भेजकर डीएमआरसी को सूचित किया कि वह इक्विटी के रूप में 3,565.64 करोड़ रुपये देने की इच्छुक नहीं है। इसका उद्देश्य मध्यस्थता राशि का ब्याज समेत भुगतान करना है। पिछले वर्ष 10 मार्च को उच्च न्यायालय ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि दो महीने के भीतर वह डीएएमईपीएल को दो बराबर किस्तों में 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का मध्यस्थता भुगतान ब्याज समेत करे।