दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) का पंजीकरण रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आप आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी और उसके उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा करने में विफल रही है। याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ से भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने का आग्रह किया और दलील दी कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करना उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है।
अश्विन मुद्गल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को उनके आपराधिक इतिहास प्रकाशित करने का आदेश दिया है। उनके वकील ने कहा कि आबकारी घोटाले में आप आरोपी है और उसने मामले में आरोपी होने की बात का खुलासा नहीं किया है। अदालत ने कहा कि यह निर्देश उच्चतम न्यायालय ने दिया था और किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ता ने बाद में उच्चतम न्यायालय जाने की स्वतंत्रता के अनुरोध के साथ याचिका वापस ले ली।