दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले कैदियों की रद्द की सजा

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित तौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के अपराध के लिए जेल के दो कैदियों को दी गयी सजा निरस्त कर दी है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने याचिकाकर्ता कैदियों को एक महीने तक कॉलिंग सिस्टम का इस्तेमाल न करने देने और मुलाकात से रोकने की सजा इस आधार पर रद्द कर दी कि यह सजा जेल नियमों का उल्लंघन करके जारी की गयी थी। मौजूदा मामले में, एक कैदी के बयान के आधार पर चार मोबाइल फोन और दो सिम कार्ड बरामद होने की बात कही गई थी। उस बयान में याचिकाकर्ताओं के नामों का भी खुलासा किया गया था।

अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ताओं को एक ही अपराध के लिए एक ही अधिकारी द्वारा दो बार दंडित किया गया था और गवाहों की गैर-मौजूदगी में मौखिक बयानों पर निर्भरता को दिल्ली जेल नियमों में कोई जगह नहीं दी जा सकती है। अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, नियम 1272 और 1273 का पूरा विचार इस तथ्य से उपजा है कि कैदियों के अधिकारों की भी रक्षा करने की आवश्यकता है और उनके खिलाफ आरोप संबंधी किसी भी बयान को गवाहों की उपस्थिति में दर्ज किया जाना चाहिए। गवाहों की अनुपस्थिति में मौखिक खुलासा किये जाने और मौखिक इकबालिया बयान की दिल्ली जेल नियमों में कोई जगह नहीं है।

अदालत ने यह भी कहा, ”याचिकाकर्ताओं को दी गई सजा भी नियम 1275 का उल्लंघन है क्योंकि याचिकाकर्ताओं को एक ही अधिकारी द्वारा एक ही अपराध के लिए दो बार दंडित किया गया है। नियम 1275 में कहा गया है कि किसी भी कैदी को एक ही अपराध के लिए एक ही अधिकारी द्वारा दो बार दंडित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने आदेश दिया, ”मेरा विचार है कि उपरोक्त सभी कारणों से याचिका को अनुमति दी जानी चाहिए और दिनांक 02.01.2020 को दी गई सजा निरस्त की जानी चाहिए।

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