दिल्ली उच्च न्यायालय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर आज आदेश पारित कर सकता है जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है। केजरीवाल के अधिवक्ता ने इस बारे में स्पष्टता जाननी चाही कि आदेश कब तक पारित होने की उम्मीद है तो न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि आदेश सोमवार अपराह्न ढाई बजे सुनाया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से उपजे भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर 17 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इसके अलावा, अदालत ने केजरीवाल और सीबीआई के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद 29 जुलाई को आप नेता की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए केजरीवाल के वकील ने दलील दी थी कि यह एक ”इंश्योरेंस अरेस्ट” है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह जेल में रहें। केजरीवाल के वकील ने दलील दी थी कि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी और उनके पास उन्हें हिरासत में लेने के लिए कोई सामग्री नहीं थी और घटनाओं के अनुक्रम से यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें जेल में ही रखने के लिए गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई के वकील ने केजरीवाल की दोनों दलीलों का विरोध किया और कहा कि उनकी गिरफ्तारी को ”इंश्योरेंस अरेस्ट” कहना अनुचित है और उन्होंने कहा कि वह आबकारी घोटाले के सूत्रधार थे और अपराध में उनकी संलिप्तता साबित के लिए सबूत मौजूद हैं। केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था जहां पर वह पहले ही ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में न्यायिक हिरासत में थे।
मुख्यमंत्री को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और सुनवाई अदालत ने 20 जून को उन्हें धनशोधन के मामले में जमानत दे दी थी। हालांकि, सुनवाई अदालत के फैसले पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को धनशोधन के मामले में अंतरिम जमानत दी थी। विवादास्पद आबकारी नीति को 2022 में रद्द कर दिया गया था। इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस नीति को बनाये जाने एवं इसे लागू करने में हुई कथित अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई को सौंप दी थी सीबीआई और ईडी के मुताबिक लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से आबकारी नीति में बदलाव कर अनियमितता की गई।