दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन सामग्री को अवैध तरीके से साझा करने के खिलाफ लागू कानून के इस्तेमाल में इंटरनेट मंचों द्वारा दिखाई गयी अनिच्छा पर बुधवार को नाखुशी जताई। उसने निर्देश दिया कि इस तरह की सामग्री हटाये जाने के आदेश के बावजूद यदि सामने आती है तो इसे तत्काल हटाना होगा और किसी पीड़ित को इसे हटवाने के लिए फिर से अदालत में न आना पड़े। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार को नियंत्रित कर पाना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि यह सर्च इंजन की जिम्मेदारी है कि आपत्तिजनक सामग्री तक पहुंच पर तत्काल रोक लगे।