नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अधिकारी दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ संशोधित बेनामी कानून के तहत कोई कार्रवाई न करें। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बेनामी लेनदेन (प्रतिषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत कार्यवाही शुरू करने के खिलाफ जैन और कई अन्य लोगों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी स्थगन की मांग कर रहे हैं और जबकि एक अन्य मामले में राजस्व प्राधिकरण ने, पहले ही बयान दिया था कि जब तक वह बेनामी कानून पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ कानूनी उपायों का सहारा लेता है, तब तक याचिकाकर्ता पक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
आयकर विभाग की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने अदालत से कहा कि इस मामले में कुछ नहीं हो रहा है। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल के उपस्थित नहीं होने पर व्यवस्था देने की अपील की। उन्होंने दलीलें पेश करने से पहले प्रत्येक याचिका के तथ्यों पर व्यक्तिगत रूप से गौर करने का समय मांगा। जैन की ओर से पेश अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के खिलाफ बेनामी कार्यवाही का मकसद “राजनीतिक उत्पीड़न” है। जैन ने 2017 में नए बेनामी कानून के तहत उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही के विरुद्ध याचिका दायर की थी।
जैन के अनुसार कथित बेनामी लेन-देन 2011 से 31 मार्च, 2016 के बीच हुआ था और इसलिए, इस मामले में नवंबर 2016 में प्रभावी हुआ संशोधित कानून लागू नहीं होगा। इस कथित बेनामी संपत्ति लेन-देन में कुछ कुर्क संपत्तियों को खरीदने का दावा किया गया था।