दिल्ली हाईकोर्ट ने डेटा चोरी के आरोप वाली याचिका पर एनालिटिक्स कंपनी से मांगा जवाब

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी द्वारा दायर याचिका पर एक एनालिटिक्स कंपनी से जवाब मांगा है। याचिका में प्रतिद्वंद्वी कंपनी ने उसके प्राथमिक रियल एस्टेट डेटा की चोरी का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा ने रियल एस्टेट डेटा एनालिटिक्स कंपनी पीई एनालिटिक्स लिमिटेड (प्रॉपइक्विटी) द्वारा दायर याचिका में प्रतिवादी भुगोल एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड (सीआरई मैट्रिक्स के रूप में व्यापार) समेत इसके निदेशकों और कुछ कर्मचारियों को सम्मन जारी किया। अदालत ने 24 जुलाई के अपने आदेश में प्रतिवादियों को अपना लिखित बयान दाखिल करने के लिए समय दिया और मामले की सुनवाई 19 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।

वादी ने आरोप लगाया है कि प्रतिवादी फर्म द्वारा दिए गए प्राथमिक आवासीय डेटा में स्पष्ट रूप से उनके डेटा से समानताएं पाई गई हैं और ये लगभग एक जैसे आंकड़े हैं। प्रॉपइक्विटी ने आरोप लगाया कि सीआरई मैट्रिक्स कंपनी 2021 से 2024 के बीच प्राथमिक आवासीय डेटा के क्षेत्र में काम भी नहीं कर रही थी, जबकि इसी अवधि के प्राथमिक डेटा मई 2025 में ‘इंडिया हाउसिंग रिपोर्ट’ नाम की एक रिपोर्ट में जारी किए गए थे। इसने आरोप लगाया कि प्रतिवादी फर्म ने अनैतिक तरीके से वादी के कुछ पूर्व कर्मचारियों को अपने यहां काम पर रख लिया। ये कर्मचारी महत्वपूर्ण पदों पर थे और उन्होंने कंपनी की गैर प्रतिस्पर्धा शर्त का उल्लंघन करते हुए इस्तीफा दे दिया तथा प्रतिद्वंद्वी कंपनी में शामिल हो गए। वादी ने कहा, ”उन्होंने (कर्मचारियों) प्रतिवादी कंपनी के साथ मिलकर साजिश रची और वादी के स्वामित्व वाले प्राथमिक आवासीय डेटा के लिए आपसी समझौता किया।” वादी ने प्रतिवादियों द्वारा कथित डेटा चोरी के कारण स्थायी निषेधाज्ञा और आठ करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की है। वादी फर्म ने कहा कि उसने साइबर अपराध शाखा गुरुग्राम में पुलिस शिकायत भी दर्ज कराई है और पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है।