दिल्ली हाई कोर्ट ने मानव तस्करी गिरोह से मुक्त कराई गई लड़कियों से जुड़ी याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में देह व्यापार कराने वाले गिरोह से मुक्त कराई गई लड़कियों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने में विफल रहने का आरोप लगाने वाली याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा ने दो गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों को नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुलिस मुक्त कराई गई लड़कियों को किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत समिति के समक्ष पेश करने में विफल रही और वे फिर से उसी दलदल में जा फंसी।

उच्च न्यायालय ने 21 मई के अपने आदेश में अधिकारियों से चार सप्ताह के भीतर वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और सुनवाई की तारीख 17 जुलाई तय की। ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस’ सहित अन्य गैर-सरकारी संगठनों द्वारा दायर और अधिवक्ता प्रभासहाय कौर के प्रतिनिधित्व वाली याचिका में देह व्यापार गिरोह से मुक्त कराई गई लड़कियों को समिति के समक्ष पेश करने में गंभीर चूक के आरोप को लेकर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। वकील ने कहा कि चार दिसंबर और 12 दिसंबर 2024 को याचिकाकर्ताओं ने बुराड़ी इलाके में गिरोह से लड़कियों को मुक्त कराने के लिए छापेमारी करने में पुलिस अधिकारियों की सहायता की तथा आठ लड़कियों को बचाया गया।

आरोप है कि पुलिस अधिकारी किशोर न्याय अधिनियम और तस्करी-रोधी कानूनों का उल्लंघन करते हुए उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने में विफल रहे। याचिका में कहा गया है कि बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किए बिना लड़कियों को रिहा करने की कार्रवाई ने किशोर न्याय अधिनियम और मानव तस्करी (रोकथाम) अधिनियम के तहत संवैधानिक गारंटी और अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन किया तथा इसके परिणामस्वरूप उन लड़कियों की फिर से तस्करी हो सकती है। याचिकाकर्ताओं ने संयुक्त पुलिस आयुक्त सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।