ओलंपिक राइफल निशानेबाजी की चयन प्रक्रिया याचिका के फैसले पर निर्भर होगी: दिल्ली हाईकोर्ट

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आगामी पेरिस ओलंपिक के लिए 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन के लिए चल रहा चयन ट्रायल निशानेबाज माणिनी कौशिक की याचिका के नतीजे पर निर्भर करेगा जिन्होंने पात्रता मानदंड पर सवाल उठाया है। माणिनी ने पात्रता मानदंड को चुनौती दी है जो श्रेणी के केवल शीर्ष पांच निशानेबाजों को ही ट्रायल में भाग लेने की अनुमति देता है। माणिनी बेहद मामूली अंतर से मानदंडों को पूरा करने में विफल रही। ओलंपिक चयन ट्रायल के पहले चरण का आयोजन 18 से 27 अप्रैल तक यहां के कर्णी सिंह निशानेबाजी परिसर में हो रहा है। ओलंपिक चयन ट्रायल के अगले चरण का आयोजन भोपाल में मई में होगा।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर याचिका को बाद के चरण में अनुमति दी जाती है, तो 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन के लिए पूरी चयन प्रक्रिया फिर से करनी होगी और माणिनी को ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। अदालत की टिप्पणियां तब आई है जब भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई)के वकील ने कहा कि ट्रायल के लिए पात्रता मानदंड विधिवत निर्धारित किए गए थे और याचिकाकर्ता को इसमें भाग लेने की अनुमति देना संभव नहीं था। न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ”चयन याचिका के नतीजे के अधीन होगा और अगर याचिकाकर्ता सफल होता है, तो पूरी चयन प्रक्रिया फिर से की जाएगी और याचिकाकर्ता को भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। अगर याचिका को अनुमति मिल जाती है, तो सभी को फिर से ट्रायल में भाग लेना होगा।

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