दिल्ली परिवहन विभाग ने बसों और ट्रकों के लिए स्वचालित फिटनेस जांच शुरू की है, जिससे अब प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप की जरुरत बहुत हद तक कम हो जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग ऑटोरिक्शा और अन्य छोटे वाहनों के लिए स्वचालित फिटनेस जांच के वास्ते भी निविदा निकालने की प्रक्रिया में है।
दिल्ली के परिवहन आयुक्त आशीष कुन्द्रा ने ट्वीट किया, बसों और ट्रकों के लिए स्वचालित फिटनेस जांच…प्रदूषण, इंजन की सेहत और अन्य मानदंड। प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कुन्द्रा ने कहा कि वाहन जब फिटनेस जांच के लिए आते हैं तो एक उपकरण उनके ध्वनि स्तर (शोर) की जांच करता है और उसके बाद उससे निकलने वाले धुएं की जांच की जाती है। उन्होंने बताया, शोर ज्यादा होने का मतलब है कि वाहन में कोई खराबी है। वाहनों की सेंटरिंग जांचने का भी उपाय है। उसके स्पीड गवर्नर और हेडलाइट की भी जांच की जाती है। बाद में एक ई-फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जो एक साल के लिए होता है।