दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना में अड़चन, रेलवे बोर्ड ने खारिज की रिपोर्ट

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दिल्ली और वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाईस्पीड रेलवे कॉरिडोर के निर्माण में अवरोध पैदा हो गया है और रेलवे ने मार्ग में अनेक घुमावदार हिस्सों का हवाला देते हुए परियोजना पर व्यवहार्यता रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि रेलमार्ग पर इतने सारे घुमाव 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलने के लिए कारगर नहीं होंगे। सूत्रों ने संकेत दिया कि बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह रेलवे बोर्ड के सचिव आर एन सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक में यह फैसला लिया गया।

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने व्यवहार्यता अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की। व्यवहार्यता रिपोर्ट में प्रस्ताव किया गया था कि कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के साथ-साथ बनाया जाए। उसने कहा कि इससे सस्ती दर पर भूमि अधिग्रहण करने और निर्माण की लागत कम करने में मदद मिलेगी। बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा कि प्रस्ताव को सिरे से खारिज करने के पीछे यह तकनीकी कारण रहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर दिल्ली और वाराणसी के बीच कई स्थानों पर घुमावदार हिस्से हैं, जो 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली किसी ट्रेन के लिए बहुत खतरनाक होंगे।

सूत्र ने कहा, 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई-स्पीड कॉरिडोर का ट्रैक सीधा होना चाहिए। एनएचएसआरसीएल परियोजना पर काम करना चाहता है वहीं रेलवे बोर्ड मुंबई और अहमदाबाद के बीच चालू बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी तथा अड़चनों पर विचार करते हुए इस संदर्भ में चिंतित है। सूत्रों ने कहा कि विलंब के कारण मुंबई-अहमदाबाद परियोजना की अनुमानित लागत 1.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच सकती है। अधिकारियों ने कहा कि हाई-स्पीड कॉरिडोर बनाने के लिए प्रति किलोमीटर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने सुझाव दिया है कि फिलहाल के लिए 160-200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन पर ध्यान होना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि अगले तीन साल में करीब 400 ऐसी ट्रेनें उपलब्ध होंगी और विभिन्न मार्गों पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

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