डीयू के 28 कालेजों में गवर्निंग बॉड़ी के गठन में देरी से चिंतित हैं डिप्टी सीएम सिसोदिया

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 28 कॉलेजों के लिए गवर्निंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को मंगलवार को पत्र लिखकर जल्द से जल्द इनका गठन करने का अनुरोध किया। डिप्टी सीएम सिसोदिया ने आज डीयू के कुलपति को लिखे पत्र में कहा, प्रोफ़ेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवर्निंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोर्प्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवर्निंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा वत्ति पोषित 28 कॉलेजों के गवर्निंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इस पर तीन फरवरी को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस देरी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 16 फरवरी को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवर्निंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वत्तिीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने आज दोबारा पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवर्निंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

डिप्टी सीएम सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी तरह की देरी से इन कॉलेजों के प्रशासन और शासन में गंभीर संकट पैदा हो सकता है। उप मुख्यमंत्री ने यह भी अनुरोध किया है कि इन 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के गठन के बिना कोई साक्षात्कार नहीं होना चाहिए क्योंकि दिल्ली सरकार की मंशा ऐसे सस्टिम का निर्माण करना है जिससे मौजूदा एडहॉक शिक्षकों के एब्सोर्प्शन को पहली प्राथमिकता दी जाए।

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