कानपुर देहात। कंचौसी बाजार स्थित दर्शन सिंह स्मृति महाविद्यालय का प्रांगण शुक्रवार को एक बार फिर भक्तिरस में डूब गया। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य शांतनु जी महाराज ने निष्काम भक्ति और भगवान के 24 अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति तभी पूर्ण होती है जब उसमें कोई स्वार्थ न जुड़ा हो। जो भक्त केवल ईश्वर के प्रेम में लीन हो जाता है, वही सच्चे अर्थों में मुक्त कहलाता है।
निष्काम भक्ति का संदेश
आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि, मान-अपमान तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन ईश्वर के साथ प्रेम और समर्पण अटल रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस दिन मनुष्य अपने भक्ति मार्ग से ‘मुझे क्या मिलेगा’ का प्रश्न हटा देता है, उसी दिन उसका जीवन धन्य हो जाता है। श्रोताओं ने तालियों की गूंज के बीच इस संदेश को आत्मसात किया।
भगवान के 24 अवतार
कथा के दौरान आचार्य शांतनु जी महाराज ने भगवान विष्णु के 24 अवतारों का विस्तार से उल्लेख किया। मत्स्य अवतार से लेकर वामन, परशुराम, राम और कृष्ण तक प्रत्येक अवतार का उद्देश्य धर्म की रक्षा और लोककल्याण था। आचार्य जी ने कहा— “प्रत्येक अवतार हमें यह शिक्षा देता है कि धर्म की रक्षा के लिए सदैव सजग रहना चाहिए, चाहे इसके लिए कितना भी संघर्ष क्यों न करना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि इन अवतारों की कथाएं केवल पौराणिक गाथाएं नहीं, बल्कि जीवन को व्यवस्थित करने वाली प्रेरणाएं हैं।
ध्रुव और प्रह्लाद का उदाहरण
कथा में ध्रुव और प्रह्लाद का चरित्र भी विशेष रूप से सुनाया गया। ध्रुव ने अपनी दृढ़ तपस्या से भगवान का साक्षात्कार किया, जबकि प्रह्लाद ने कठिन अत्याचारों के बीच भी अपनी आस्था नहीं छोड़ी। आचार्य जी ने कहा कि ध्रुव हमें धैर्य और लगन का संदेश देते हैं, जबकि प्रह्लाद बताते हैं कि भक्ति में किसी भी प्रकार का भय नहीं होना चाहिए।
नरसिंह अवतार का रोमांचकारी प्रसंग
नरसिंह अवतार के प्रसंग पर जब आचार्य जी पहुंचे तो पूरा पंडाल जयकारों से गूंज उठा। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने आधे मनुष्य और आधे सिंह का रूप लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और असुर हिरण्यकश्यप का वध किया। यह प्रसंग भक्तों के प्रति भगवान की अनुकंपा और न्यायप्रियता का प्रतीक है।
परीक्षित जन्म और पांडवों का स्वर्गारोहण
आचार्य शांतनु जी महाराज ने अभिमन्यु के गर्भस्थ शिशु परीक्षित के बचने की कथा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से उसकी रक्षा की और वही परीक्षित आगे चलकर महान राजा बने। पांडवों के स्वर्गारोहण का प्रसंग सुनाते हुए आचार्य जी ने कहा, पांडवों का जीवन त्याग, सत्य और धर्मपालन की मिसाल है। उन्होंने भोग-विलास नहीं, बल्कि धर्म और न्याय को अपने जीवन का आधार बनाया।” यह भागवत कथा अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद देवेंद्र सिंह भोले द्वारा उनकी माता स्व. कनक रानी की नौवीं पुण्यतिथि पर आयोजित की गई है। सांसद भोले जी ने भावुक होते हुए कहा कि मां का आशीर्वाद ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। इस कथा का आयोजन उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि समाज को एक सूत्र में पिरोने का अवसर है। कथा के अंत में आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि भागवत सुनने का वास्तविक फल तभी है जब हम अपने जीवन को सुधारने का संकल्प लें। केवल सुनना पर्याप्त नहीं, उसे आचरण में लाना ही असली साधना है। उन्होंने श्रद्धालुओं को अगले दिन के प्रसंग की झलक देते हुए सभी को पुनः आमंत्रित किया। यह कथा आगामी 1 अक्टूबर तक प्रतिदिन आयोजित होगी।
केंद्रीय राज्यमंत्री का आगमन और सम्मान
इस अवसर पर भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के केंद्रीय राज्यमंत्री बी.एल. वर्मा का भी आगमन हुआ। स्वामी विवेकानंद युवा समिति के अध्यक्ष विकास सिंह भोले और डॉक्टर अमित सिंह ने उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।