केजरीवाल की जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी ने दी चुनौती

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दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन के मामले में आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने संबंधी यहां की एक विशेष अदालत फैसले को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी। राऊज एवेन्यू स्थित ईडी और सीबीआई की अवकाशकालीन न्यायाधीश नियाय बिंदू ने केजरीवाल को गुरुवार को बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी थी। अदालत ने केजरीवाल और केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलें दो दिनों तक सुनने के बाद देर शाम जमानत संबंधी अपना आदेश पारित किया था। अदालत ने उन्हें एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था। आदेश पारित होने के बाद ईडी ने जमानत को चुनौती देने की दलील देते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि जमानत बांड पर हस्ताक्षर को 48 घंटे के लिए टाला जा सकता है, लेकिन विशेष न्यायाधीश ने ईडी की इस गुहार को ठुकराते हुए आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

अदालत ने कहा था कि जमानत बांड शुक्रवार को ड्यूटी जज के सक्ष पेश किया जाना है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति -2021-22 (जो विवाद के बाद रद्द कर दी गई थी) में कथित घोटाले में ईडी ने 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था। वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। जमानत बांड संबंधी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आज उनके जेल से बाहर निकालने की संभावना है। केजरीवाल को गिरफ्तार करने वाली ईडी ने उन पर मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया है। उन पर पूर्व के गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए 100 करोड़ रुपये गलत तरीके से हासिल करने का आरोप है। सीएम केजरीवाल ने ईडी की ओर से अपनी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती दी थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 17 अगस्त 2022 को अबकारी नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में की गई कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। इसी आधार पर ईडी ने 22 अगस्त 2022 को धनशोध का मामला दर्ज किया था।

ईडी का दावा है कि आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं-दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित अन्य ने अवैध कमाई के लिए ‘साजिश’ रची थी। इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। शीर्ष अदालत ने 04 जून को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था गौरतलब है कि इस मामले में सिंह को उच्चतम न्यायालय ने दो अप्रैल को राहत दी। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत की अनुमति के साथ ही संबंधित विशेष अदालत को जमानत की शर्ते तय करने का भी निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत के इस आदेश के मद्देनजर राऊज एवेन्यू स्थित एक विशेष अदालत ने तीन अप्रैल को उन्हें सशर्त तिहाड़ जेल से रिहा करने का आदेश पारित किया था।

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