दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को खतरनाक करार देते हुए सोमवार को केंद्र सरकार के आग्रह किया कि वह जल्दबाजी में इसे पेश न करें। केजरीवाल ने दावा किया कि इससे केवल बिजली वितरण कंपनियों को फायदा होगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में विचार तथा पारण के लिए बिजली संशोधन विधेयक पेश किया है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, आज लोकसभा में बिजली संशोधन बिल लाया जा रहा है। यह कानून बेहद खतरनाक है। इससे देश में बिजली की समस्या सुधरने के बजाय और गंभीर होगी। लोगों की तकलीफें बढ़ेंगी। केवल चंद कंपनियों को फायदा होगा। मेरी केंद्र से अपील है कि इसे जल्दबाजी में न लाया जाए।
पंजाब से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने कहा कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार अपनी ही बात से मुकरने के बाद लोकसभा में इस विधेयक को पेश करने जा रही है। उन्होंने ट्वीट किया, बिजली के मामले में कानून बनाने में राज्य का बराबर का अधिकार है, मगर इस विधेयक के बारे में केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से राय नहीं मांगी है। आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है। बिजली अधिनियम, 2003 में प्रस्तावित संशोधनों पर कई संगठनों ने आपत्ति जताई है।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए। इस विधेयक का उद्देश्य बिजली वितरण (खुदरा) खंड में प्रतिस्पर्धा पैदा करना है। प्रस्ताव में कहा गया है कि बिजली कंपनियां अन्य बिजली वितरण लाइसेंसधारकों के नेटवर्क का उपयोग कर सकती हैं। इसमें भुगतान सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने और नियामकों को अधिक अधिकार देने का भी प्रस्ताव है।