दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया की याचिका पर जांच एजेंसी को नोटिस जारी कर, उस पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति ने कहा, नोटिस जारी करें। जवाब दाखिल किया जाए।
सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को बनाने तथा उसे लागू करने में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। दिल्ली की एक निचली अदालत ने 31 मार्च को सिसोदिया की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह प्रथम दृष्टया इस मामले में आपराधिक साजिश के सूत्रधार प्रतीत होते हैं और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने तथा अपने सहयोगियों के लिए करीब 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में ”सबसे महत्वपूर्ण व मुख्य भूमिका” निभाई।
सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और मोहित माथुर ने अदालत के समक्ष निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी तथा इस तथ्य पर जोर दिया कि मामले के अन्य आरोपियों को या तो गिरफ्तार नहीं किया गया या उन्हें जमानत दे दी गई है। कृष्णन ने कहा, यह याचिका नियमित जमानत के लिए है। मेरे अलावा सभी को जमानत मिल चुकी है। सीबीआई की ओर से पेश हुए वकील अनुपम एस. शर्मा ने मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा। अदालत ने एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। मामले को अब 20 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया गया है।