भारत की जन केंद्रित विदेश नीति समाज की आकांक्षाओं से निर्देशित: जयशंकर

30
193
s jaishankar
s jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा कि आज के जटिल अंतरराष्ट्रीय मामलों के बीच भारत की जन केंद्रित विदेश नीति समाज की मांगों और आकांक्षाओं द्वारा निर्देशित होती है जिसके माध्यम से स्थिरता को बढ़ावा देते हुए देश अपनी हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढा़वा दे रहा है। जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में ‘भारत की विदेश नीति में नवीनतम विकास” के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए वक्तव्य दिया। उनके वक्तव्य के समय मणिपुर के मुद्दे पर दोनों सदनों में विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी कर रहे थे।

विदेश मंत्री ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं का उल्लेख किया और कहा कि इन प्रयासों से भारत एक ‘अस्थिर और अनिश्चित विश्व’ में अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों और हितों को आगे बढ़ाने में सक्षम हुआ है। उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय मामले अभूतपूर्व और जटिल हो गए हैं, तब हमारी जन केंद्रित विदेश नीति हमारे समाज की मांगों और आकांक्षाओं द्वारा निर्देशित होती है। जयशंकर ने कहा, आज दुनिया मानती है कि जब भारत आवाज उठाता है तो न केवल अपने लिए बल्कि कई अन्य देशों के लिए आवाज उठाता है। भारत सभी की शांति सुरक्षा और समृद्धि के लिए आवाज उठाता है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रवासियों को भविष्य की संभावनाओं और उनकी जरूरतों के प्रति हमारी सरकार की संवेदनशीलता पर विश्वास मजबूत हुआ है। विदेश मंत्री ने कहा, वैश्विक हित और स्थिरता के लिए एक शक्ति के रूप में काम करते हुए हमने अपने राष्ट्रीय हितों की दृढ़ता से रक्षा की है। हमने अपने कार्यों से यह प्रदर्शित किया है कि संकट काल में अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ेंगे।

उन्होंने कहा, ”मैं कहना चाहता हूं कि आज हम अपनी विदेश नीति के माध्यम से अच्छाई के वाहक के रूप में और स्थिरता का पोषण करते हुए अपनी हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढा़वा दे रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि वर्ष 2022 में अमृत काल की शुरुआत में भारत ने ऐतिहासिक जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण की है। उन्होंने कहा, हमने जी-20 की अपनी अध्यक्षता में विदेश नीति को सशक्त बनाने और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अधिक बल देते हुए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है ताकि विश्व में अपना उचित स्थान प्राप्त कर सकें। जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री ने संसद के पिछले सत्र से लेकर अब तक कुल सात देशों की यात्राएं की हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, मिस्र, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात की द्विपक्षीय यात्रा शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी की अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई ऐसी दूसरी यात्रा है। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का ‘दुर्लभ विशेषाधिकार’ भी प्रदान किया गया। इस यात्रा के प्रमुख परिणामों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस दौरान दोनों पक्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी संबंधी पहल के माध्यम से प्रौद्योगिकी सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जिसमें कृत्रिम मेधा, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष, क्वांटम और दूरसंचार पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

उन्होंने कहा कि भारत को खनिज सुरक्षा सहभागिता में एक सदस्य के रूप में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य स्थाई वैश्विक महत्वपूर्ण ऊर्जा खनिज आपूर्ति शृंखलाओं के विकास में तेजी लाना है। जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में नौवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व किया, जिसमें 135 देशों के लोगों ने भाग लिया और यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया का ‘ऐतिहासिक’ दौरा किया, जिसके बाद उन्होंने 24 मई को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने कहा कि इस दौरे पर प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी करार पर हस्ताक्षर करना यात्रा के मुख्य आकर्षणों में से एक था। विदेश मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर वहां का दौरा किया और वह बैस्टिल डे परेड के विशिष्ट अतिथि बने। जयशंकर ने प्रधानमंत्री को उनकी विभिन्न विदेश यात्राओं के दौरान मिले सम्मानों का भी उल्लेख किया।

30 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here