दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को राष्ट्रीय राजधानी में 691 अधीनस्थ अदालतों में ‘हाइब्रिड’ सुनवाई को सुगम बनाने तथा इस परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने के वास्ते 387 करोड़ रुपये शीघ्र मंजूर करने का निर्देश दिया है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने जिला अदालतों में ‘हाइब्रिड’ सुनवाई के लिए जरूरी अवसंरचना से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सभी 691 अदालतों के वास्ते एक व्यापक निविदा जारी की जाए। हाइब्रिड सुनवाई का तात्पर्य अदालत कक्षों में प्रत्यक्ष रूप से और ऑन लाइन माध्यम से सुनवाई है। पीठ ने कहा, ” नतीजतन यह अदालत दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को सभी 691 अदालतों के संबंध में 387.03 करोड़ रुपये की राशि के लिए 19 अप्रैल, 2024 के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार वित्तीय मंजूरी देने के मामले में तेजी से कदम उठाने का निर्देश देती है। यह स्पष्ट किया गया है कि प्रायोगिक अदालतों सहित सभी 691 अदालतों के लिए एक व्यापक निविदा जारी की जाएगी।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को शुरू में प्रति जिले दो प्रायोगिक अदालतों के बजाय प्रति अदालत परिसर में दो प्रायोगिक अदालतें स्थापित करने की अनुमति दी, जिसका निर्णय रजिस्ट्रार जनरल द्वारा किया जाएगा। उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार का पक्ष अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने रखा। सभी अन्य अदालतों में इस परियोजना को लागू करने से पहले उसके कामकाज का मूल्यांकन करने के लिए ये ‘प्रायोगिक’ अदालत स्थापित की जाएंगी। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के कानून विभाग की नवीनतम यथास्थिति रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें खुलासा किया गया है कि इस मामले में नीतिगत फैसला जुड़ा है और इसपर मंत्रिपरिषद की मंजूरी की जरूरत है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ”चूंकि ‘हाइब्रिड’ सुनवाई से जुड़ा व्यय 500 करोड़ रुपये से कम है और दिल्ली सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय में हाइब्रिड सुनवाई की नीति पहले ही लागू कर जा चुकी है, ऐसे में इस अदालत का मत है कि यहां (कारोबार विनिमय नियमावली) का उपबंध नौ लागू नहीं होता है और मंत्रिमंडल की अनिवार्य मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, इस मामले में कोई देरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि तकनीक बहुत तेजी से अप्रचलित हो जाती है। उच्च न्यायालय का यह आदेश वकील अनिल कुमार हाजेलय की याचिका पर आया है। याचिकाकर्ता ने 2021 में कोविड महामारी के दौरान याचिका दायर कर जिला अदालतों में ‘हाइब्रिड’ सुनवाई समेत कई अनुरोध किये थे। इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।