भारत-यूएई आर्थिक साझेदारी समझौता अनियमितताओं से भरा है: कांग्रेस

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कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ किया गया आर्थिक साझेदारी समझौता अनियमितताओं से भरा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया। सरकार की तरफ से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा हस्ताक्षरित भारत-यूएई आर्थिक साझेदारी समझौता (ईपीएम) अनियमितताओं से भरा है। उन्होंने कहा, ”इस समझौते में एक खामी है जो यह निर्धारित करती है कि वजन के हिसाब से 2 प्रतिशत से अधिक प्लैटिनम वाली किसी भी मिश्र धातु पर आयात शुल्क लगेगा। मई 2022 में समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से भारत ने 24,000 करोड़ रुपये मूल्य की प्लैटिनम मिश्र धातु का आयात किया है।

कर अधिकारियों के आंतरिक रिकॉर्ड का अनुमान है कि इसमें से 90 प्रतिशत से अधिक वास्तव में सोना है।” रमेश के अनुसार, जुलाई 2024 तक, सोने पर 18.45 प्रतिशत के प्रभावी कर के मुकाबले प्लैटिनम मिश्र धातु पर आयात शुल्क 8.15 प्रतिशत था तथा इस मिश्र धातु को सोने के बजाय प्लैटिनम के रूप में अनिवार्य वर्गीकरण के कारण भारत को राजस्व में कम से कम 1,700 करोड़ रुपये का नुक़सान होने का अनुमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि वित्तीय नुक़सान के अलावा इस खामी ने भारत के नियामक बुनियादी ढांचे का मज़ाक बना दिया है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, ”वित्त मंत्री ने जुलाई, 2024 में अपने बजट भाषण में सोने पर शुल्क को कम किया था। यह आंशिक रूप से इस खामी को दूर करने के लिए किया गया था।

दूसरे शब्दों में, सरकार की आर्थिक नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक समझौते पर बातचीत करने के बजाय, सरकार ने समझौते में खामियों को दूर करने की कोशिश करने के लिए अपनी नीति को समायोजित किया।” उन्होंने कहा कि जनवरी-अप्रैल, 2023 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात से भारत का चांदी आयात 22 लाख डॉलर था जो जनवरी-अप्रैल 2024 में भारी उछाल के साथ 1.44 अरब डॉलर हो गया। रमेश ने दावा किया कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने व्यापार समझौते के लिए अधिकांश बातचीत का नेतृत्व किया और 88 दिनों की ”रिकॉर्ड अवधि” में समझौते को पूरा किया। उन्होंने सवाल किया कि क्या इतने महत्वपूर्ण समझौते को अंतिम रूप देने में की गई अनावश्यक जल्दबाजी के परिणामस्वरूप ये खामियां उत्पन्न हुई हैं?