लोकसभा में शोर-शराबे के बीच भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक पेश

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लोकसभा में शुक्रवार को शोर-शराबे के बीच ‘भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक’ पेश किया गया। इसके माध्यम से भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। निचले सदन में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने उक्त विधेयक पेश किया। इस समय विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर शोर-शराबा कर रहे थे। जब पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी को विधेयक पेश किये जाने पर बोलने को कहा तब तिवारी ने मणिपुर का मुद्दा उठाने का प्रयास किया। हालांकि, आसन ने उन्हें विधेयक पर ही बोलने को कहा।

इसके बाद निचले सदन में ध्वनिमत से रतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक’ पेश किया गया। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारण में कहा गया है कि वर्ष 1961 में भारत सरकार ने कलकत्ता और अहमदाबाद में दो भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित करने का निश्चय किया था। इन विशेषज्ञ संस्थानों के माध्यम से भारत में प्रबंध प्रशिक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी लाने की परिकल्पना की गई थी। ऐसे संस्थानों की मांग में वृद्धि होने के कारण बंगलोर (अब बेंगलुरु), लखनऊ, इंदौर और कोझीकोड में भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किए गए थे। इसके अनुसार 11वीं योजना में शिलांग, रांची, रोहतक, रायपुर, काशीपुर, तिरूचिरापल्ली और उदयपुर में नए भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किए गए। वहीं वर्ष 2015-16 के दौरान अमृतसर, बोधगया, जम्मू, नागपुर, संभलपुर, सिरमौर और विशाखापट्टनम में भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किए गए। इसके बाद, अधिनियम के माध्यम से संस्थानों को डिग्रियां प्रदान प्रदान करने, संस्थानों के शासन को एकसमान बनाने और बोर्ड संचालन करने के लिए सशक्त बनाया गया है और उन्हें शैक्षिक स्वायत्तता का प्रयोग करने में समर्थ बनाया है।

राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान मुंबई की स्थापना वर्ष 1963 में हुई थी, और यह अपनी तकनीकी-प्रबंधन संबंधी दक्षता और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान के लिए जाना जाता है। संस्थान संसद के किसी अधिनियम का भाग नहीं है और उसने अनेक चुनौतियों का अनुभव किया है। इसमें कहा गया है कि देश में शीर्षस्थ प्रबंध संस्थानों में से एक होने के बावजूद वह डिग्रियां प्रदान करने में असमर्थ है जिससे संस्थान के पक्षकारों खासकर छात्रों की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान, मुंबई को अधिनियम के अधीन लाने एवं संबंधित विषयों पर चर्चा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने उक्त संस्थान को अधिनियम में सम्मिलित करने की मजबूती से सिफरिश की है। ऐसे में वर्तमान विधेयक अर्थात भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक 2023 के माध्यम से भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 का संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें एक नई उपधारा को जोड़ा गया है ताकि राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान मुंबई को भारतीय प्रबंध संस्थान मुंबई के नाम से जाना जायेगा और भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 के सभी उपबंध ऐसे संस्थान पर लागू होंगे। इसमें कहा गया है कि अधिनियम की धारा 10 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है जिसके माध्यम से केंद्र सरकार को संचालक बोर्ड के निलंबन या विघटन की स्थिति में एक अंतरिम बोर्ड गठित करने का अधिकार होगा। इसके तहत भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक संस्थान के कुलाध्यक्ष होंगे।

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