केजरीवाल ने वापस ली जमानत पर अंतरिम रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका

28
145

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में निचली अदालत के जमानत आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक को चुनौती देने वाली अपनी याचिका बुधवार को उच्चतम न्यायालय से वापस ले ली। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने केजरीवाल को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से कहा कि चूंकि उच्च न्यायालय ने 25 जून को विस्तृत आदेश पारित किया है तो वह ठोस अपील दायर करना चाहेंगे। सिंघवी ने पीठ को बताया कि घटनाक्रम हर दिन नया आकार ले रहा है और अब केजरीवाल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने कहा, हम सभी प्रासंगिक जानकारियों को रिकॉर्ड में लाने और उच्च न्यायालय के 25 जून के आदेश को चुनौती देने के लिए ठोस अपील दायर करना चाहेंगे। उच्च न्यायालय ने 25 जून को दिए आदेश में निचली अदालत के जमानत आदेश पर रोक बरकरार रखी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल की याचिका पर जवाब दिया है जिसे रिकॉर्ड में लिया जा सकता है। पीठ ने दलीलों को सुना और केजरीवाल को अपील दायर करने की छूट दे दी। इससे पहले बुधवार को दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को कथित आबकारी घोटाले में केजरीवाल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मामले में केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगायी और कहा था कि निचली अदालत ने विवादित आदेश पारित करते समय रिकॉर्ड पर प्रस्तुत सामग्री/दस्तावेजों और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उठाए गए तर्कों का उचित आकलन नहीं किया। उच्चतम न्यायालय ने मामले में केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के फैसले पर उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम रोक लगाते हुए फैसला सुरक्षित रखने की कार्रवाई को 24 जून को ‘असामान्य’ करार दिया था।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और निचली अदालत ने 20 जून को उन्हें नियमित जमानत दी थी। निचली अदालत ने अपने जमानत आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया केजरीवाल का दोष अभी साबित नहीं किया गया है और ईडी धन शोधन मामले में अपराध से मिली आय से उनके संबंध को लेकर कोई साफ सबूत पेश करने में नाकाम रही है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से इसकी जांच कराने का आदेश दिया था जिसके बाद इसे 2022 में रद्द कर दिया गया था।

28 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here