एलजी को सरकार की सलाह से काम करना चाहिए, दिल्ली के राज्यपाल के अधिकारों में सुप्रीम कोर्ट ने फिर की कटौती

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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 ‘एल्डरमैन’ के मनोनयन में उपराज्यपाल (एलजी) को दिल्ली सरकार के मंत्रिपरिषद के ‘सहयोग और सलाह’ पर काम करना चाहिए। यह लगातार दूसरा दिन है जब न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के रोजमर्रा के शासन में एलजी के अधिकारों में कटौती की है। एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ के मनोनयन को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी नीत सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने इस आलोक में उपराज्यपाल कार्यालय के वकील को अपना पुराना जवाब वापस लेने की अनुमति दे दी कि उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद के सहयोग और सलाह से काम करना चाहिए।

न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली सरकार के पास विधायी और कार्यपालिका की शक्तियां हैं… सिर्फ कानून-व्यवस्था, पुलिस और जमीन इसका अपवाद है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”आप (उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन) उपराज्यपाल को यह सलाह क्यों नहीं देते हैं कि वह एमसीडी में सदस्यों को मनोनीत नहीं कर सकते हैं। उन्हें सरकार की सलाह और सहयोग से काम करना है। पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए 16 मई को सूचीबद्ध कर लिया और उपराज्यपाल कार्यालय को इस संबंध में नये सिरे से जवाब देने की अनुमति दे दी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि एमसीडी में सदस्यों के मनोनयन के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर वह आठ मई को सुनवाई करेगी। अधिवक्ता शादान फरसात के माध्यम से याचिका दायर करके अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने कथित रूप से मंत्रिपरिषद की सलाह के बगैर सदस्यों के मनोनयन के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है। मनोनयन को रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका में उपराज्यपाल कार्यालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह ”मंत्रिपरिषद के सहयोग और सलाह के आधार पर” दिल्ली नगर निगम कानून के प्रावधान 3(3)(बी)(आई) के तहत सदस्यों को मनोनीत करें।

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