दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि राजधानी में कोविड-19 के मामले बढ़ गए हैं लेकिन लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं और अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की दर कम है। उन्होंने अस्पताल में मरीजों के भर्ती होने की दर के पीछे टीकाकरण और स्वाभाविक रूप से हासिल रोग प्रतिरोधक क्षमता को जिम्मेदार बताया। जैन ने यहां पत्रकारों से कहा, दिल्ली में कोविड के मामले बढ़ गए हैं लेकिन लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं और अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की दर कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी आबादी ने पूरी तरह से टीके की खुराक ले ली है और बड़ी संख्या में लोग पहले संक्रमित हो चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में कोविड संक्रमण के मामलों को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि कई सीरो सर्वे से यह पता चलता है कि हालांकि, बच्चों और वयस्कों में संक्रमण दर लगभग समान है लेकिन बच्चों में बीमारी की गंभीरता ”बहुत कम” है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही बुधवार को उपचाराधीन मरीजों की संख्या 4,832 पर पहुंच गयी, जबकि 11 अप्रैल को यह 601 थी।
स्वास्थ्य विभाग के बुधवार को जारी बुलेटिन में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने की दर अभी तक कम रही है और यह संक्रमण के कुल मामलों के तीन प्रतिशत से भी कम है। इसमें कहा गया कि दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 के 129 मरीज भर्ती हैं जबकि 3,336 घर पर पृथक वास कर रहे हैं। जैन ने कहा कि इससे पहले जब दिल्ली में 5,000 उपचाराधीन मरीज होते थे तो 1,000 लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती थी। विभिन्न अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए 9,390 बिस्तर उपलब्ध हैं और इनमें से केवल 148 बिस्तरों पर ही मरीज भर्ती हैं। मंत्री ने कहा, हमारे पास अभी करीब 1,000 बिस्तर हैं। जरूरत पड़ने पर हम उनकी संख्या बढ़ाते हैं।