मोदी सरकार ने भारत के श्रमिकों की ”व्यापक उपेक्षा और शोषण” किया है: कांग्रेस

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नई दिल्ली। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भारत के श्रमिकों की ‘व्यापक उपेक्षा और शोषण’ किया है, जिसमें ‘वास्तविक मजदूरी में कमी, मजदूर विरोधी श्रम संहिताएं लागू करना और मनरेगा का गला घोंटना’ जैसे अन्याय शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि तेलंगाना और कर्नाटक में ‘गिग वर्कर’ के कल्याण के लिए उठाए गए कदम सिर्फ शुरुआत हैं और कांग्रेस भारत के सभी कामकाजी लोगों के लिए सुरक्षित रोजगार की कल्पना करती है। ‘गिग वर्कर्स’ उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्‍थायी होता है। रमेश ने एक बयान में कहा, ”पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार की नीतियों के तहत भारत के श्रमिकों की व्यापक उपेक्षा और शोषण किया गया है और यह सब सरकार की अपनी ही नीतियों से प्रेरित रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत में श्रमिकों के साथ कम से कम पांच बड़े अन्याय हुए हैं। ‘वास्तविक मजदूरी में गिरावट’ होने का दावा करते हुए रमेश ने कहा कि श्रम ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014-15 और 2022-23 के बीच, कृषि श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में सालाना औसतन केवल 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और गैर-कृषि श्रमिकों के लिए यह वृद्धि केवल 0.2 प्रतिशत रही।” उन्होंने कहा, ”निर्माण श्रमिकों के लिए, वास्तविक वेतन वृद्धि वास्तव में नकारात्मक थी। वेतनभोगी श्रमिकों को भी नहीं बख्शा गया है – पीएलएफएस के आंकड़ों के अनुसार, मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद, वेतनभोगी श्रमिकों की आमदनी 2017-18 की तुलना में 2022-23 में 12 प्रतिशत कम हो गई।” रमेश ने सरकार पर श्रमिक विरोधी श्रम संहिता लाने और ठेकेदारी प्रथा में वृद्धि करने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ”मोदी सरकार द्वारा 2019-20 में लागू चार नई श्रम संहिताओं ने सभी श्रमिकों के लिए रोजगार को पहले से अधिक अस्थिर बना दिया है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में ठेका प्रथा बहुत बढ़ गई है। उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2019-20 में 98.4 प्रतिशत कारखानों ने ठेका श्रमिकों को रोजगार दिया, जबकि 2011 में यह संख्या 28.3 प्रतिशत थी।” ‘गैर-औद्योगिकीकरण’ के मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि मोदी सरकार ने भारत के आर्थिक परिवर्तन को उलट दिया है, जिससे श्रमिकों को कारखानों से वापस खेतों में भेज दिया गया है। उन्होंने कहा, ”2011-12 से 2022 तक, विनिर्माण क्षेत्र में श्रमिकों की कुल संख्या स्थिर रही, जो लगभग 6 करोड़ से बढ़कर केवल 6.3 करोड़ ही हुई। वहीं, 2018-19 से, कृषि श्रमिकों की संख्या में 6 करोड़ की वृद्धि हुई है।

रमेश ने दावा किया कि वेतन वाली नौकरियों में कमी आई है और स्वरोजगार में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ”स्व-रोजगार 2017-18 में 51 प्रतिशत था जो 2022-23 में आश्चर्यजनक तरीके से बढ़कर 57 प्रतिशत पर पहुंच गया, जबकि वेतनभोगी लोगों की संख्या 23 फीसद से घटकर 21 प्रतिशत रह गई। स्व-रोजगार श्रेणी में अवैतनिक श्रमिकों की संख्या 2017-18 में लगभग चार करोड़ थी जो बढ़कर 2022-23 में 9.5 करोड़ हो गई है।” उन्होंने दावा किया, ”बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के संकट ने श्रमिकों को कम वेतन वाली या बिना वेतन वाली नौकरियों में जाने के लिए मजबूर किया है।” रमेश ने सरकार पर ‘मनरेगा का गला घोंटने’ का आरोप लगाया और दावा किया कि मनरेगा के लिए बजट आवंटन में बार-बार कटौती की गई और 2023-24 में यह सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.25 प्रतिशत था – जो इसके इतिहास में सबसे कम है।

उन्होंने कहा, ”इसके परिणामस्वरूप, मोदी सरकार ने मनरेगा मजदूरी को दबा दिया है। उदाहरण के लिए, 2014 से उत्तर प्रदेश के लिए दैनिक मजदूरी दर में प्रति वर्ष केवल 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मुद्रास्फीति इससे कहीं अधिक रही है।” रमेश ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपने ‘न्याय पत्र’ के तहत कांग्रेस ने पांच सूत्री श्रमिक न्याय गारंटी की घोषणा की थी। उन्होंने इन्हें गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस ने मनरेगा श्रमिकों सहित सभी श्रमिकों के लिए 400 रुपये प्रतिदिन की राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी का वादा किया है। रमेश ने कहा कि इन गारंटी में ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ कानून लाने का वादा शामिल है जो 25 लाख रुपये तक का सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करेगा और इसमें मुफ्त आवश्यक जांच, दवाइयां, उपचार, सर्जरी और पुनर्वास तथा गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की देखभाल शामिल होगी।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कांग्रेस ने शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी अधिनियम की भी गारंटी दी है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण, शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जुझारू बनाना और सामाजिक सेवाओं में अंतर को पाटने पर ध्यान केंद्रित करना है। रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने सभी असंगठित श्रमिकों के लिए जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा का भी वादा किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने मोदी सरकार द्वारा पारित ‘श्रमिक विरोधी’ श्रम संहिताओं की समीक्षा करने और मुख्य सरकारी कार्यों में ठेके पर नियुक्तियों को रोकने की प्रतिबद्धता भी जताई है। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस पार्टी अपनी स्थापना के बाद से ही भारत के मेहनतकश लोगों के साथ मजबूती से खड़ी रही है। महात्मा गांधी ने खुद 1918 के ऐतिहासिक अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन का नेतृत्व किया था और सरदार वल्लभभाई पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, वीवी गिरि और बाबू जगजीवन राम जैसे कई कांग्रेस नेता श्रमिक आंदोलन से जुड़े थे।” रमेश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर, कांग्रेस भारत के मेहनतकश लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है और पांच सूत्री श्रमिक न्याय एजेंडे को लागू करने के संकल्प को भी दोहराती है।