नेशनल हेराल्ड मामला: ईडी ने सोनिया, राहुल गांधी के खिलाफ आरोप-पत्र किया दाखिल

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में 988 करोड़ रुपये के धनशोधन के आरोप में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने नौ अप्रैल को दाखिल आरोप-पत्र की, संज्ञान के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पड़ताल की और सुनवाई की अगली तारीख 25 अप्रैल निर्धारित की। आरोप-पत्र में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम भी आरोपी के तौर पर शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि अन्य आरोपियों में यंग इंडियन, डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और सुनील भंडारी शामिल हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ”मौजूदा अभियोजन शिकायत को संज्ञान के पहलू पर विचार के लिए अगली बार 25 अप्रैल, 2025 को इस अदालत के समक्ष रखा जाएगा, जब ईडी और जांच अधिकारी (आईओ) के विशेष वकील अदालत के अवलोकन के लिए केस डायरी भी प्रस्तुत करेंगे।” ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन के मट्टा ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा-तीन (धनशोधन) और चार (धनशोधन के लिए दंड) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायाधीश ने कहा, ”शिकायत की जांच की जाए और उसे पंजीकृत किया जाए। अहलमद (अदालत के कर्मचारी) यह सुनिश्चित करेंगे कि पूरी फाइल/दस्तावेजों को उचित रूप से पृष्ठांकित किया गया है।

ईडी को अगली तारीख तक शिकायत और दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी पठनीय/ओसीआर प्रारूप में दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।” सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत के न्यायाधीश ने ईडी की उस दलील पर भी गौर किया, जिसमें कहा गया था कि निदेशालय केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा कथित धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और अन्य अपराधों के लिए जांच किये जा रहे पूर्ववर्ती अपराध से संबंधित मामले को दूसरी अदालत से न्यायाधीश गोगने की अदालत में स्थानांतरित करने के लिए जिला न्यायाधीश के समक्ष एक अर्जी पेश करेगा। ईडी ने उन्हीं कथित अपराधों के आधार पर वर्तमान मामले में अपनी जांच शुरू की थी।

न्यायाधीश ने कहा कि निर्दिष्ट अपराध की सुनवाई उसी अदालत द्वारा की जानी चाहिए जो पीएमएलए की धारा-तीन के तहत अपराध का संज्ञान लेती है तथा सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य हैं। न्यायाधीश ने कहा, ”अनिवार्य रूप से, निर्दिष्ट अपराध तथा (उससे उत्पन्न) पीएमएलए के अपराध, दोनों की सुनवाई एक ही अदालत द्वारा की जानी चाहिए।” विशेष अदालत ने कहा कि चूंकि वर्तमान शिकायत में आरोप निर्दिष्ट अपराध से उत्पन्न हुए थे, इसलिए उसकी फाइल को अवलोकन के लिए मंगाया जाना आवश्यक है। अदालत ने कहा, ”यद्यपि, किसी मामले को सौंपने या स्थानांतरित करने की शक्ति इस अदालत में निहित नहीं है, बल्कि इसका विशेषाधिकार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, राउज एवेन्यू, नयी दिल्ली का है।

प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को कहा कि उसने 661 करोड़ रुपये की उन अचल संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किया है, जिसे उसने कांग्रेस नियंत्रित नेशनल हेराल्ड अखबार और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से जुड़े धनशोधन की जांच के तहत कुर्क किया था। ईडी की जांच 2021 में तब शुरू हुई थी जब दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने 26 जून, 2014 को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की एक निजी शिकायत का संज्ञान लिया। ईडी ने कहा कि शिकायत में कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की “आपराधिक साजिश” को उजागर किया गया है, जिसमें सोनिया, उनके सांसद पुत्र राहुल, कांग्रेस के दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के अलावा दुबे, पित्रोदा और एक निजी कंपनी यंग इंडियन शामिल हैं।

ईडी के अनुसार, ये सभी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से संबंधित 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों के धोखाधड़ी से अधिग्रहण से जुड़े धनशोधन में कथित रूप से शामिल हैं। ईडी ने कहा, ”आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को (विभिन्न स्तर पर) चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों ने इसे बरकरार रखा है, जिससे जांच आगे बढ़ सकती है।” एजेएल नेशनल हेराल्ड समाचार प्लेटफॉर्म (समाचार पत्र और वेब पोर्टल) का प्रकाशक है, जिसका स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है। कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल यंग इंडियन के बहुलांश वाले शेयरधारक हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 38 प्रतिशत शेयर हैं। कुछ साल पहले इस मामले में ईडी ने उनसे घंटों पूछताछ की थी। ईडी ने दावा किया कि उसकी जांच में “निर्णायक रूप से” पाया गया है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के “लाभकारी स्वामित्व वाली” एक निजी कंपनी यंग इंडियन ने मात्र 50 लाख रुपये में 2,000 करोड़ रुपये की एजेएल संपत्ति “खरीदी”, जो इसकी कीमत से काफी कम है। ईडी ने आरोप लगाया है, ”यंग इंडियन और एजेएल की संपत्तियों का इस्तेमाल 18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये के फर्जी अग्रिम किराये और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापनों के रूप में अपराध की आय अर्जित करने के लिए किया गया।