संविधान की रक्षा का सबसे बड़ा चुनाव 1977 का था, लोगों ने इंदिरा गांधी सरकार को उखाड़ फेंका था: मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 के आम चुनाव में संविधान की रक्षा को मुद्दा बनाने के लिए बुधवार को कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि भारतीयों ने केवल एक ही बार इस मुद्दे पर मतदान किया जब उन्होंने आपातकाल के बाद 1977 में इंदिरा गांधी की सरकार को उखाड़ फेंका था। उन्होंने कहा कि हालिया लोकसभा चुनाव भी अगर संविधान की रक्षा का ही चुनाव था तो देशवासियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इसके योग्य पाया। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) पर लोकसभा चुनाव में संविधान की रक्षा का ‘फर्जी विमर्श’ गढ़ने का आरोप लगाया। उन्होंने आपातकाल की याद दिलाते हुए कहा कि उस दौर में संविधान पर जुल्म हुआ, बुलडोजर चलाया गया और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी गई थीं। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को संविधान की ‘सबसे बड़ी विरोधी’ पार्टी बताया और कहा कि इसका विरोध ही उसके जेहन में है।

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने हिंसाग्रस्त मणिपुर की स्थिति से देशवासियों को वाकिफ कराया, नीट पेपर लीक मामले में कार्रवाई का वादा किया और अपने पिछले दो कार्यकालों की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही तीसरे कार्यकाल की प्राथमिकताएं बताईं। संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर लोकसभा में उन्हें धन्यवाद देने के एक दिन बाद मोदी ने राज्यसभा में कांग्रेस पर चौतरफा हमला किया और कहा कि चुनाव के दौरान संविधान की रक्षा का ‘नाटक’ करने वाली पार्टी ने संविधान दिवस मनाने का विरोध किया था। प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया और सदन में नारेबाजी शुरु कर दी और मोदी को ‘झूठा’ कहा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे इस मौके पर हस्तक्षेप करना चाहते थे लेकिन आसन की ओर से उन्हें अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने मोदी के भाषण के दौरान जोरशोर से नारेबाजी की। बाद में वे सदन से बहिर्गमन कर गए। नारेबाजी के बावजूद मोदी ने बोलना जारी रखा और कहा कि ये लोग जनादेश को पचा नहीं पा रहे और जब उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं तो आज मैदान छोड़कर भाग गए।

सभापति जगदीप धनखड़ ने भी इसकी निंदा करते हुए इसे संविधान का अपमान बताया। अपने लगभग दो घंटे के भाषण में, मोदी ने अपनी पिछली सरकार की उपलब्धियां गिनाई। इस क्रम में उन्होंने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने, गरीबों को बैंकिंग प्रणाली और ऋण तक पहुंच प्रदान करने तथा भारत को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि विकास और आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखकर भारत उनके तीसरे कार्यकाल में ‘निश्चित’ रूप से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। मई 2014 में अपना पहला कार्यकाल शुरू करने वाले प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों ने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को जनादेश दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष 140 करोड़ लोगों द्वारा राजग को दिए जनादेश को पचा नहीं पा रहा है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ”मैं आपका दर्द समझ सकता हूं।” चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के बार-बार किए गए दावे कि ”भाजपा संविधान को बदल देगी”, का जिक्र करते हुए मोदी ने सवाल किया, ”अभी भी यह फर्जी विमर्श चलाते रहोगे क्या? क्या आप भूल गए 1977 का चुनाव?” उन्होंने कहा, ”अखबार बंद थे, रेडियो बंद था, बोलना भी बंद था। और एक ही मुद्दे पर देशवासियों ने वोट किया था। लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए वोट किया था। संविधान की रक्षा के लिए पूरे विश्व में इससे बड़ा कोई चुनाव नहीं हुआ है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोगों की रगों में लोकतंत्र कैसे जीवित है यह 1977 के चुनाव ने दिखा दिया था।

उन्होंने कहा, ”मैं मानता हूं संविधान की रक्षा का सबसे बड़ा चुनाव 1977 का चुनाव था। उस समय देश की विवेक बुद्धि ने संविधान की रक्षा के लिए, तब सत्ता पर बैठे लोगों को उखाड़ फेंका था। और (अगर) इस बार संविधान की रक्षा का चुनाव था तो देशवासियों ने संविधान की रक्षा के लिए हमें योग्य पाया, हम पर भरोसा जताया।” मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी के लिए संविधान सिर्फ अनुच्छेदों का संकलन नहीं है बल्कि इसकी भावना और शब्द भी बहुत मूल्यवान हैं। मोदी ने कहा कि संविधान एक प्रकाश स्तंभ की तरह है जो उनकी सरकार का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने कांग्रेस के सहयोगियों पर भी हमला करते हुए कहा कि वे भी आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों के पीड़ित थे, लेकिन अब राजनीतिक अवसरवाद के लिए उन्होंने आपस में हाथ मिला लिया है। मणिपुर की स्थिति पर मोदी ने कहा कि राज्य में हिंसा लगातार घट रही है और राज्य के अधिकतर हिस्सों में शिक्षण संस्थान खुल गए हैं तथा व्यवसाय चालू हैं। उन्होंने कहा, ”सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।” उन्होंने बताया कि राज्य में हिंसा के संबंध में 11,000 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

मोदी ने जोर देकर कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें शांति के द्वार खोलने के लिए वहां हर किसी से बात कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने नीट समेत प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन में कथित अनियमितताओं पर भी बात की और कहा कि पेपर लीक में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ”हम चाहते हैं कि पेपर लीक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन विपक्ष को तो इसकी आदत है। मैं भारत के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की जा रही है कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा दी जाए।” प्रधानमंत्री ने कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई का संकल्प जताते हुए कहा कि सरकार ने भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए जांच एजेंसियों को ‘खुली छूट’ दी है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पहले आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ सबूतों के साथ गंभीर आरोप लगाने और बाद में उनके साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने व गठबंधन करने के लिए भी कांग्रेस पर निशाना साधा। मोदी ने कहा, ”भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हमारे लिए मिशन है। ये हमारे लिए चुनाव में हार-जीत का विषय नहीं है। हमने 2014 में जब सरकार बनाई थी तब हमने कहा था कि हमारी सरकार गरीबों के कल्याण के लिए काम करेगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा प्रहार करेगी और कालेधन पर वार करेगी।

उन्होंने कहा, ”मैं बिना लाग-लपेट के कह रहा हूं और देशवासियों को भी बताना चाहता हूं कि हमने एजेंसियों को भ्रष्टाचारियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के लिए खुली छूट दे रखी है। सरकार कहीं भी हस्तक्षेप नहीं करेगी।” प्रधानमंत्री ने कहा, ”हां, उन्हें (जांच एजेंसियों को) ईमानदारी से काम करना चाहिए। भ्रष्टाचार में फंसा कोई भी व्यक्ति कानून से बच नहीं पाएगा। यह मोदी की गारंटी है।” सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के विपक्षी सदस्यों के आरोपों का जिक्र करते हुए मोदी ने दिवंगत मुलायम सिंह यादव जैसे विपक्षी नेताओं के बयानों का हवाला दिया, जिन्होंने संप्रग सरकार पर उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए थे। प्रधानमंत्री ने संप्रग सरकार के कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय की उस टिप्पणी की याद दिलायी जिसमें सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद तोता’ बताया गया था। उन्होंने कहा, ”केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।

कहा गया है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है।” उन्होंने कहा, ” ‘आप’ शराब घोटाला करती है, ‘आप’ भ्रष्टाचार करती है, ‘आप’ बच्चों के लिए कक्षाओं के निर्माण में घोटाला करती है, ‘आप’ पानी का घोटाला भी करती है… कांग्रेस ‘आप’ के खिलाफ शिकायत करती है। कांग्रेस ‘आप’ को अदालत में घसीटती है और अगर कार्रवाई होती है तो वे मोदी को गाली देते हैं।” मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने संवाददाता सम्मेलन में देश के सामने ‘आप’ के घोटालों के कई सबूत पेश किए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अब जवाब देना चाहिए कि वे सबूत सही थे या झूठे। उन्होंने विपक्ष पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों पर चुनिंदा आक्रोश जताने का आरोप लगाया और कहा कि उनमें से किसी ने भी पश्चिम बंगाल में एक महिला की सार्वजनिक पिटाई पर एक शब्द नहीं कहा।