नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारत दुनिया की मुख्य चुनौतियों के समाधान का एक अनिवार्य हिस्सा है-चाहे वह ‘ग्लोबल नॉर्थ’ और ‘ग्लोबल साउथ’ के बीच असमानता से उत्पन्न मुद्दे हों, सीमा पार आतंकवाद के खतरे हों या जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां हों। ‘ग्लोबल नॉर्थ’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से विकसित और औद्योगिक देशों के लिए किया जाता है, वहीं ‘ग्लोबल साउथ’ का इस्तेमाल आर्थिक रूप से कम संपन्न देशों के संदर्भ में होता है। राष्ट्रपति भवन में भारतीय विदेश सेवा (2024 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उनसे “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना को अपनाते हुए “राष्ट्रहित सर्वोपरि” को ध्यान में रखने को कहा।
मुर्मू ने कहा कि उनके आसपास की दुनिया भू-राजनीतिक बदलावों, डिजिटल क्रांति, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षवाद के संदर्भ में तेज़ी से बदलाव देख रही है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारी ‘अमृत काल’ में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए हैं-एक ऐसा समय जब भारत वैश्विक मंच पर एक अग्रणी शक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा, “आज भारत विश्व की मुख्य चुनौतियों के समाधान का एक अनिवार्य हिस्सा है-चाहे वह ‘ग्लोबल नॉर्थ’ और ‘ग्लोबल साउथ’ के बीच असमानता से उत्पन्न मुद्दे हों, सीमा पार आतंकवाद के खतरे हों या जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां हों।” उन्होंने कहा, “हमारी आवाज का महत्व है। हमारे राजनयिकों के रूप में, आप भारत का पहला चेहरा होंगे जिसे दुनिया आपके शब्दों में, आपके कार्यों में और आपके मूल्यों में देखेगी।
राष्ट्रपति ने कहा, “हम वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को अपनाते हैं, लेकिन कृपया यह ध्यान रखें – राष्ट्रहित सर्वोपरी हो।” मुर्मू ने कहा कि देश के कूटनीतिक प्रयास “हमारी घरेलू ज़रूरतों और 2047 तक विकसित भारत बनने के हमारे उद्देश्य” के साथ निकटता से जुड़े होने चाहिए। राष्ट्रपति ने उनसे “हमारे सभ्यतागत ज्ञान- शांति, बहुलवाद, अहिंसा और संवाद” के मूल्यों को अपने साथ लेकर चलने का आग्रह किया। मुर्मू ने उनसे देश के 3.3 करोड़ प्रवासी समुदाय के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी याद रखने को कहा, जो भारत की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, “विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय समुदायों के साथ मेरी बातचीत में, मैं उनकी ऊर्जा और अपने निवास देश और अपनी मातृभूमि, दोनों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रभावित हुई हूं। जैसे-जैसे दुनिया उथल-पुथल से गुज़र रही है, यह बेहद जरूरी है कि आप विदेश में खासकर संकट के समय में हमारे नागरिकों की जरूरतों को पूरा करें।