प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए पिछले 10 वर्षों में कई सुधार किए हैं। इन कदमों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारत खाद्य क्षेत्र में नवाचार, स्थिरता तथा सुरक्षा के वैश्विक मानक स्थापित करे। प्रधानमंत्री का संदेश विश्व खाद्य भारत 2024 के तीसरे संस्करण में पढ़ा गया। यह कार्यक्रम 19 से 22 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में 90 से अधिक देश हिस्सा लेंगे। मोदी ने कहा, ” आधुनिक युग में प्रगतिशील कृषि पद्धतियों, मजबूत प्रशासनिक ढांचे और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के जरिये हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि भारत खाद्य क्षेत्र में नवाचार, स्थिरता तथा सुरक्षा के लिए वैश्विक मानक स्थापित करे।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए व्यापक सुधार लागू किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ” खाद्य प्रसंस्करण में 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश), प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसी बहुआयामी पहलों के जरिये हम देश भर में आधुनिक बुनियादी ढांचे, मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं और रोजगार सृजन का मजबूत परिवेश तैयार कर रहे हैं।” मोदी ने कहा कि कई देशों की भागीदारी से विश्व खाद्य भारत 2024 वैश्विक खाद्य उद्योग, शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में प्रतिभाशाली लोगों के लिए विशेष मंच के रूप में सामने आया है। इसमें वे बढ़ते अवसरों का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा, ” भारत में एक जीवंत तथा विविध खाद्य संस्कृति है।
भारतीय खाद्य परिवेश की रीढ़ किसान हैं। यह किसान ही हैं जिन्होंने पाक उत्कृष्टता की पौष्टिक तथा स्वादिष्ट परंपराओं को सुनिश्चित किया है। हम नवीन नीतियों और उनके कार्यान्वयन के साथ उनकी कड़ी मेहनत का समर्थन कर रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य छोटे उद्यमों को सशक्त बनाना है। मोदी ने साथ ही कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन का आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन, खाद्य एवं कृषि संगठन और कई प्रतिष्ठित घरेलू संस्थानों सहित वैश्विक नियामकों को एक मंच पर लाएगा। इससे खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं जैसे व्यापक मुद्दों पर चर्चा की जा सकेगी।