प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था से जुड़े पहलुओं से निपटने को लेकर सरकार के आलोचकों पर तंज करते हुए कहा कि उनकी सरकार को औसत प्रतिभा वाले लोगों से भरा बताकर मजाक उड़ाया जाता था, लेकिन जिस भारत को सामान्य समझा गया, वह अब दुनिया में चमक रहा है। राष्ट्रीय राजधानी स्थित तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा वार्षिक संवाद के छठे संस्करण के दौरान छात्रों से संवाद में मोदी ने कहा कि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि समृद्ध लोकतंत्र के लिये आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है, मजबूत लोकतंत्र के लिये आलोचना पूर्व शर्त है।
उन्होंने कहा कि लेकिन आलोचना और आरोप के बीच काफी बड़ा अंतर है। एक छात्र के प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री ने कहा, आपने दो-तीन वर्ष पहले देखा होगा कि हमारी सरकार के बारे में लिखा गया कि इसमें कोई अर्थशास्त्री नहीं है। यह औसत लोगों से भरी हुई है। प्रधानमंत्री को अर्थव्यवस्था की कोई समझ नहीं है। लेकिन आज वही देश जिसे औसत बताया गया, वह दुनिया में चमक रहा है। मोदी ने कहा कि दुनिया ऐसे समय में भारत को उम्मीद भरी नजर से देख रही है जब कोविड-19 महामारी के बाद के काल में वैश्विक आर्थिक स्थिति के बारे में चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि दुनिया में अर्थशास्त्रियों की कमी है। ऐसे अनेक नोबेल पुरस्कार सम्मानित विद्वान हैं, जो आर्थिक स्थिति में क्या संभावनाएं हैं, इसके क्या प्रभाव होंगे आदि के बारे में मार्गदर्शन कर सकते हैं। बुद्धिमता की बात करने वाले लोग इन दिनों हर कोने में हैं। ऐसे शिक्षाविद भी हैं जिन्होंने काफी काम किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित देशों में बढ़ती मंदी के साथ भारत तेजी से आगे बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था है और अनेक वैश्विक निकाय देश का पक्ष ले रहे हैं और कह रहे हैं कि भविष्य में यह अच्छा करेगा। प्रधानमंत्री मोदी से एक छात्र ने सवाल पूछा था कि जिन्हें औसत या सामान्य समझा जाता है, वे अपनी पढ़ाई को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।
इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, ज्यादातर लोग सामान्य स्तर के होते हैं, असाधारण लोग बहुत कम होते हैं और सामान्य लोग जब असामान्य काम करते हैं, तो वे ऊंचाई पर चले जाते हैं और सामान्य के मानदंड को तोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि किसी को ‘तीस मार खां बनने की जरूरत नहीं है, कई लोग सामान्य से नीचे होते हैं लेकिन अपने आप को तीस मार खां समझते हैं।
उन्होंने कहा, हमें बच्चों को विस्तार का अवसर देना चाहिए, उन्हें बंधनों में नहीं बांधना चाहिए। अपने बच्चों को समाज के विभिन्न वर्गों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जब एक छात्र ने पूछा कि वे आलोचना और आरोपों के किस तरह से देखते हैं तब मोदी ने सीधे कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं की। प्रधानमंत्री ने कहा आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, विश्लेषण करना पड़ता है। ज्यादातर लोग आरोप लगाते हैं, आलोचना नहीं करते। आलोचना और आरोप में बड़ी खाई है। उन्होंने हल्के- फुल्के अंदाज में इन सवालों पर कहा कि यह ‘आउट आफ सिलेबस (पाठ्यक्रम से बाहर) है। परीक्षा पे चर्चा संवाद के दौरान सेंट जोसेफ सिनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा मन्नत बाजवा ने पूछा था कि आपके बारे में नकारात्मक राय रखने वाले लोग भी हैं। क्या वह आपको प्रभावित करते हैं। यदि हां करते हैं तो आप आत्म संदेह की भावना से कैसे उभरते हैं? मैं इसमें आपसे मार्गदर्शन चाहती हूं।
हरियाणा की जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा जोविता पात्रा ने पूछा था कि एक औसत छात्र परीक्षा में कैसे बेहतर कर सकता है। दक्षिण सिक्किम की डीएवी स्कूल की छात्रा अष्ठमी सेन ने पूछा था कि जब विपक्ष और मीडिया आपकी आलोचना करते हैं तो आप कैसे इनका सामना करते हैं। वहीं अहमदाबाद की हडाला बाई हाई स्कूल की छात्रा सोलंकी कुमकुम ने पूछा था कि इतने बड़े प्रजातांत्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें कितनी सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आप इन चुनौतियों से कैसे लड़ते है। प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी, कंपनियों के उत्पाद का उदाहरण देते हुए कहा कि ये सभी देखते हैं कि हमने ये किया है, हम यहां जाकर के अटके है, हो सकता है कुछ कमियां होगी तथा काफी लोगों के प्रयासों से चीजें समृद्ध हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई चाहता है कि कमियां जो हो,उससे मुक्ति का रास्ता कोई इंगित करेगा। उन्होंने कहा कि कभी-कभी आलोचना करने वाला कौन है,उस पर सारा मामला सेट हो जाता है।
मोदी ने कहा, आलोचना करने वाले आदतन करते रहते हैं तो उनको एक बक्से में डाल दीजिए। ज्यादा दिमाग मत खपाइए क्योंकि उनका इरादा कुछ और है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी कभी आप लोग संसद की चर्चा को देखते होंगे। संसद में अपना भाषण देने के लिये कुछ लोग बहुत ही अच्छी तैयारी करके आते हैं, लेकिन स्वभाव से सामने विपक्ष के कुछ लोग बैठे बैठे कुछ टिप्पणी करते हैं। मोदी ने कहा कि उनको (विपक्षी के ऐसे टिप्पणी करने वाले सदस्यों)मालूम है कि यह टिप्पणी ऐसी है कि सामने वाला प्रतिक्रिया करेगा ही। उन्होंने कहा कि लेकिन जो सांसद तैयारी करके आया है, वह अगर ऐसी टिप्पणी को हंसी मजाक में लेता है तब दूसरे सेकंड में अपने विषय पर चला जाता है। उन्होंने कहा, इसलिए हमें अपना फोकस छोड़ना नहीं चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आरोपों को आलोचना न समझें। आलोचना तो एक प्रकार से वो पोषण है जो हमें समृद्ध करता है। उन्होंने कहा कि हमें आरोप लगाने वालों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है,समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। लेकिन आलोचना को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। मोदी ने कहा कि अगर हम ईमानदार हैं, हमने प्रमाणिक सत्य निष्ठा से काम किया है, समाज के लिए काम किया है तथा निश्चित मकसद के लिए काम किया है तो आरोपों की बिल्कुल परवाह मत कीजिए।