मुझे उस देश से होने पर गर्व है जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिया: प्रधानमंत्री मोदी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि हमें उस देश से होने पर गर्व है जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिया। उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि दुनिया भर में युवा पीढ़ियां भगवान बुद्ध के बारे में अधिक जानें और उनके आदर्शों से प्रेरित हों। नयी दिल्ली में शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन (एबीसीपी) की 12वीं महासभा में पूरे एशिया से आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए मोदी ने बौद्ध धर्म के साथ भारत के समृद्ध संबंध पर प्रकाश डाला। बैठक के लिए एक लिखित संदेश में मोदी ने भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों के लिए एक मजबूत पैरोकार के रूप में उनकी भूमिका पर जोर दिया। ‘ग्लोबल साउथ’ से आशय उन देशों से है जिन्हें विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है। ये देश मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने संदेश में कहा, ”भारत यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि दुनिया भर में युवा पीढ़ी भगवान बुद्ध के बारे में अधिक जानें और उनके आदर्शों से प्रेरित हों। उन्होंने कहा कि सभा का उद्देश्य भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में प्रतिबिंबित करता है जो हमेशा भगवान बुद्ध के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित रहा है और ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों का एक मजबूत पैरोकार है। उन्होंने कहा, ”भारत भगवान बुद्ध की भूमि है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, हमें उस देश से होने पर गर्व है जिसने दुनिया को बुद्ध दिया है, न कि युद्ध।

प्रधानमंत्री ने ‘बौद्ध सर्किट’ विकसित करने, विरासत स्थलों से कनेक्टिविटी बढ़ाने, भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति केंद्र की स्थापना और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने में देश के प्रयासों को रेखांकित किया। मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, आतंकवाद और गरीबी जैसी वैश्विक चुनौतियों के लिए सहयोगात्मक और सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ”ऐसी समस्याओं को केवल साझा, सहयोगात्मक और सामूहिक दृष्टिकोण से ही हल किया जा सकता है। भगवान बुद्ध के सिद्धांत न केवल हमें एक साझा मंच पर लाने में मदद करते हैं, बल्कि हमारे सामने आने वाली कई चुनौतियों का समाधान भी बताते हैं।

उन्होंने इस पर जोर दिया कि भगवान बुद्ध के सिद्धांत न केवल राष्ट्रों को एकजुट करते हैं बल्कि साझा चुनौतियों का समाधान भी प्रदान करते हैं। एबीसीपी की विविध गतिविधियों की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रों और समाजों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में इसकी सक्रिय भागीदारी की सराहना की। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग करने में संगठन के समावेशी और दूरदर्शी दृष्टिकोण को चिह्नित किया। ‘वाक् टी’ (सब अच्छा हो) की भावना का संदेश साझा करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने आशा व्यक्त की कि सभा पूरी दुनिया के लिए ज्ञान, प्रेरणा, साहस और शक्ति के स्रोत के रूप में काम करेगी। बौद्ध सम्मेलन 16 जनवरी को शुरू हुआ और बृहस्पतिवार को संपन्न हुआ।

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