वोट बैंक की राजनीति से दूर हैं, लोगों की प्रगति के लिए काम कर रहे हैं : प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पहले की सरकारें वोट बैंक की राजनीति के अनुरूप नीतियां बनाती थीं, जबकि मौजूदा सरकार ने सरकार में लोगों का विश्वास बहाल किया। प्रधानमंत्री ने ‘एचटी लीडरशिप समिट’ को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ”जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए” प्रगति के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ”हमारी सरकार ने एक स्पष्ट उद्देश्य तय किया है। हम वोट-बैंक की राजनीति से दूर हैं और ‘जनता के लिए, जनता द्वारा प्रगति’ के मंत्र के साथ काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, और भारत के लोगों ने हम पर विश्वास किया है। सोशल मीडिया के इस युग में, जहां गलत सूचना और दुष्प्रचार होता है, हमारी सरकार दृढ़संकल्पित है।

मोदी ने कहा, ”कई देशों में हर चुनाव के बाद सरकारें बदल जाती हैं, लेकिन भारत में लोगों ने तीसरी बार हमारी सरकार चुनी है। पहले सरकारें चुनाव जीतने के लिए चलायी जाती थीं और नीतियां वोट बैंक की राजनीति के अनुरूप बनाई जाती थीं, लेकिन हमने सरकार में लोगों का विश्वास बहाल किया।” उन्होंने कहा, ”भारतीय समाज अब अभूतपूर्व आकांक्षाओं से भरा है और हमने इन आकांक्षाओं को अपनी नीतियों का आधार बनाया है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्ष में देश में हुए परिवर्तनों ने नागरिकों के बीच जोखिम लेने की संस्कृति को फिर से जागृत किया है। उन्होंने कहा, ”2014 में देश का केंद्रीय बजट करीब 16 लाख करोड़ रुपये था और आज यह 48 लाख करोड़ रुपये है। पूंजीगत व्यय 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक है और इसे नए विद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और रेल क्षेत्र पर खर्च किया जा रहा है तथा जनता का पैसा भी बचाया जा रहा है।

हमारी सरकार का दृष्टिकोण लोगों के लिए अधिक खर्च करना है, लोगों के लिए अधिक बचत करना है।” मोदी ने कहा, ”एक वक्त था जब एलपीजी गैस कई लोगों के लिए सपना था और सरकार इस मुद्दे पर बहस किया करती थी। हमारी सरकार ने प्रत्येक घर में गैस कनेक्शन देने को प्राथमिकता दी। 2014 में 14 करोड़ गैस कनेक्शन थे और आज 30 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन हैं। अब हम कभी गैस की कमी के बारे में नहीं सुनते हैं।” मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है और आतंकवादी अपने घरों में ही असुरक्षित महसूस करते हैं।