वर्ष 2024 के आम चुनाव में दो लोकसभा सीट (वायनाड और रायबरेली) से जीत दर्ज करने वाले राहुल गांधी ने बुधवार को लोगों को यह कयास लगाने के लिए विवश कर दिया कि वह कौन सी सीट बरकरार रखेंगे। हालांकि, कांग्रेस की केरल इकाई के प्रमुख के. सुधाकरन ने संकेत दिया कि कांग्रेस नेता वायनाड सीट छोड़ देंगे। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, एक उम्मीदवार दो लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है, लेकिन एक समय में केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सकता है। इसलिए कांग्रेस नेता को अपनी जीती हुई दो सीट में से एक सीट छोड़नी होगी। उम्मीदवार के पास एक सीट रिक्त करने के लिए परिणाम घोषित होने की तारीख से दो सप्ताह का समय मिलता है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे चार जून को घोषित किए गए थे। इसलिए कांग्रेस नेता को अपनी जीती हुई दो सीट में से एक सीट छोड़नी होगी। दिन की शुरुआत में मलप्पुरम के एडवन्ना में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि वह इस दुविधा में हैं कि उन्हें वायनाड और रायबरेली लोकसभा सीट में से कौन सी सीट छोड़नी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह जो भी निर्णय लेंगे, दोनों निर्वाचन क्षेत्र के लोग उससे खुश होंगे। उन्होंने लोकसभा में दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें चुनने के लिए वायनाड के लोगों को धन्यवाद दिया। इस बीच, राज्य के वायनाड जिले के कलपेट्टा में एक सार्वजनिक बैठक में, जहां गांधी मौजूद थे, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने संकेत दिया कि कांग्रेस नेता वायनाड लोकसभा सीट छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ”हमें दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि जिस राहुल गांधी से देश का नेतृत्व करने की अपेक्षा की जाती है, उनसे वायनाड में बने रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती। सुधाकरन ने कहा, ”इसलिए, हमें दुखी नहीं होना चाहिए। हर किसी को इसे समझना चाहिए और उन्हें अपनी सभी शुभकामनाएं और समर्थन देना चाहिए।” अपने भाषण के दौरान गांधी ने कहा कि कई लोग अटकलें लगा रहे हैं कि वह रायबरेली या वायनाड में से कौन सी लोकसभा सीट छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, ”इसका जवाब मेरे अलावा हर कोई जानता है।” इससे पहले दिन में एडवन्ना में गांधी ने कहा कि वह कोई एक सीट छोड़ने को लेकर दुविधा में हैं। कांग्रेस नेता ने यहां एक जनसभा में कहा, ”मैं आपसे जल्द ही मिलने की उम्मीद करता हूं। मेरे सामने दुविधा है कि मैं वायनाड का सांसद बना रहूं या रायबरेली का। मैं उम्मीद करता हूं वायनाड और रायबरेली दोनों ही मेरे फैसले से खुश होंगे।” उन्होंने इसी बात को कलपेट्टा में लोगों को संबोधित करने के दौरान दोहराया। लगातार दूसरी बार वायनाड लोकसभा सीट से भारी अंतर से जीत हासिल करने के बाद यह उनकी राज्य में पहली यात्रा है।
गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें भगवान से कोई निर्देश नहीं मिलता कि क्या करना है, जैसा कि प्रधानमंत्री अपने बारे में दावा करते हैं। कांग्रेस नेता ने चुनाव प्रचार के दौरान मोदी की उस टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि वह ‘जैविक नहीं’ हैं, बल्कि उन्हें ‘भगवान ने धरती पर भेजा’ है जो उनके लिए सभी फैसले लेते हैं। मोदी का उपहास करते हुए गांधी ने कहा, ”उनके (मोदी) पास एक विचित्र भगवान हैं। वह उनसे (मोदी) अडाणी और अंबानी के पक्ष में सभी फैसले लेने के लिए कहते हैं। दुर्भाग्य से, उनके विपरीत, मैं भगवान द्वारा निर्देशित नहीं हूं। मैं एक इंसान हूं।” कांग्रेस नेता ने कहा कि भगवान ने प्रधानमंत्री को देश के प्रमुख हवाईअड्डों और बिजली संयंत्रों को अडाणी को सौंपने का निर्देश दिया है और फिर भगवान उन्हें (मोदी को) रक्षा क्षेत्र में उद्योगपति की मदद करने के लिए ”अग्निवीर” योजना लाने का निर्देश देते हैं। गांधी ने कहा, ”दुर्भाग्यवश, मेरे पास यह सुविधा नहीं है क्योंकि मैं एक इंसान हूं और भगवान मुझे आदेश नहीं देते। मेरे लिए, यह बहुत आसान है। मेरे भगवान भारत के गरीब लोग हैं। मेरे भगवान वायनाड के लोग हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई भारत के संविधान की रक्षा के लिए थी और उस लड़ाई में नफरत को प्यार ने, अहंकार को विनम्रता ने हराया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ लाखों भारतीय हैं जो अपनी विभिन्न परंपराओं, भाषाओं, संस्कृतियों और इतिहास को संरक्षित रखना चाहते हैं और वे ही अपना भविष्य तय करेंगे। गांधी ने दावा किया कि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं, जिन्होंने कहा कि वे तय करेंगे कि कौन सी भाषाएं बोली जानी चाहिए और किन परंपराओं का पालन किया जाना चाहिए। लोकसभा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री और शाह की ओर से ”बुनियादी गलतफहमी” थी।
गांधी ने कहा, ”उन्होंने (प्रधानमंत्री और शाह ने) सोचा कि उनके पास राजनीतिक ताकत है, उनके पास प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग है, इसलिए वे लोगों को निर्देश दे सकते हैं कि क्या होने जा रहा है।” उन्होंने कहा, ”केरल, उत्तर प्रदेश और अन्य सभी राज्यों के लोगों ने प्रधानमंत्री को दिखा दिया कि आप हमें यह नहीं बता सकते कि हम क्या चाहते हैं। भारत के लोगों ने उनसे कहा कि संविधान हमारी आवाज है। संविधान को मत छुओ।” गांधी ने कहा कि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री वाराणसी में हारते-हारते बाल-बाल बच गये और अयोध्या में भाजपा हार गई। उन्होंने कहा, ”अयोध्या के लोगों ने भी भाजपा को संदेश दिया कि हम नफरत और हिंसा को पसंद नहीं करते। भारत के लोगों ने जो सबसे बड़ा संदेश दिया, वह यह था कि हमारे पास अनेक परंपराएं, राज्य, धर्म और इतिहास हैं और उनमें से प्रत्येक का सम्मान किया जायेगा।” कांग्रेस नेता ने कहा कि इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को अब अपना रवैया बदलना होगा क्योंकि भारत की जनता ने उन्हें स्पष्ट संदेश दे दिया है। उन्होंने केंद्र में बनी सरकार को ‘पंगु’ करार दिया और कहा कि विपक्ष ने भाजपा को करारा जवाब दिया है। गांधी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अब अपना रवैया बदलना होगा क्योंकि भारत की जनता ने उन्हें स्पष्ट संदेश दे दिया है।